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चबूतरे को बेचने के बाद अगस्त माह में मंडी में धरना देते किसानों की तत्कालीन मंडी प्रभारी जयश्री से नौकझोंक : फाइल फोटो |
अलीगढ़ की धनीपुर मंडी से संबद्ध हरदुआगंज उपमंडी में किसानों के लिए बने चबूतरे पर मंडी प्रशासन ने जाल लगा अवैध दुकानें बनवाई गई आढतियों का अवैध कब्जा कराकर लाखों रुपए डकार लिए पिछले साल अगस्त माह में सवाल उठने पर नोटिस देकर चुप्पी साध ली जिससे गेहूं के सीजन में किसान चिलचिलाती धूप में सड़क पर गल्ला बेचने को मजबूर हैं।
मंडी में किसानों के गल्ले की सुरक्षा के लिए चबूतरे बनाए गए है। जिसपर वह फसल सुखा सकें और बरसात से बचा सकें। बीते वर्ष जुलाई माह में तत्कालीन मंडी प्रभारी ने चबूतरे को गुपचुप व्यापारियों को आवंटित कर जाल लगवाकर दर्जनभर दुकानें बनवा दी थी। मामले में 26 अगस्त 2024 को भाकियू पदाधिकारी डा. शैलेंद्रपाल सिंह की अगुवाई में दर्जनों किसानों ने मंडी में धरना प्रदर्शन कर चबूतरे को खाली कराने की मांग की थी। अस वक्त आवंटन पर उठे विवाद की धमक जिलो के अधिकारियों से लेकर यूपी राज्य कृषि उत्पादन परिषद के तत्कालीन निदेशक अंजनि कुमार तक पहुंचने पर उप निदेशक मंडी संजय सिंह मंडी निरीक्षण को पहुंच थे। जहां चबूतरे आवंटित करने में दोषी मंडी प्रभारी जयश्री को हटाकर हजारीलाल को मंडी सचिव नियुक्त करते हुए अवैध ढंग से आवंटित चबूतरे को कब्जा मुक्त कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। उप-निदेशक आदेश पर मंडी सचिव हजारीलाल ने एक दर्जन आढतियों को जाल हटाने का नोटिस भी दिया था। इसके बाद चुप्पी साध ली। अब सात माह बीतने के बाद चबूतरा कब्जामुक्त नहीं हो सका है। मामले में हरदुआगंज मंडी प्रभारी हजारीलाल का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, मंडी सचिव धनीपुर के स्तर से ही कोई कार्रवाई संभव है। किसान नेता डा. शैलेंद्रपाल सिंह का कहना है कि वर्ष 2016 के शासनादेश के अनुसार चबूतरों (फड़) को आवंटित नहीं किया सकता। उप-निदेशक मंडी के आश्वासन दिया था मगर अवैध कब्जे नहीं हटे, पुन: डीएम से लेकर मंडी निदेशक तक इसकी शिकायत की जाएगी।