अब सवाल ये पैदा होता है कि आखिर विद्यालय में गुटखा खाता कौन है, छात्र या शिक्षक?
शिक्षा के मंदिर की यह दुर्दशा विद्यालय की छवि व छात्रों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। जहां एक ओर शिक्षा के मंदिर में कोई भी छात्र या शिक्षक धूम्रपान नहीं कर सकता है, वहीं अग्रसेन कॉलेज की ही कक्षाओं में दीवारें गुटके के थूक से रंगी हुई है, शायद अब विद्यालय का अनुशासन कमजोर पड़ रहा है, या इन सबको नजरंदाज किया जा रहा है, इस तरह की कक्षाओं में बैठने से बीमारी तो पनपेंगी साथ ही छात्रों की मानसिकता पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा और तो और यही दुर्दशा छात्राओं की कक्षाओं की भी है।
इसे देखते हुए अग्रसेन कॉलेज की साफ सफाई की व्यवस्था भी भंग नजर आती है।
अब देखना ये है कि क्या इसकी साफ सफाई कराकर अग्रसेन इंटर कॉलेज की समिति उक्त बातों का ध्यान रखेगी या यूंही यह गुटका पान मसाला खाने सिलसिला चलता रहेगा।