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प्राकृति होली का रंग चारों ओर नए फ्लेवर में निखर रहा है रंगों का बाजार सज चुका है श्री वृन्दावन मे बिहारी जी की होली शुरू हो चुकी है ऐसे होली के हुड़दंग के बीच सभी को रंगो से सराबोर करने की स्पधा होगी।
उमंग एवं उत्साह के बीच में कई बार छोटी सी भूल से जीवन बेरंग हो सकता है।
कैमीकल रंगों की खतरनाक प्रवृत्ति भांपकर प्राकृतिक रंगों का दामन थामना जीवन के उल्लास को कायम रखेगा।
घर पर ही बनाए प्राकृतिक रंग
काला रंग -लोहे की कढाई में आंवले को एक रात के लिए भिगोकर रख दें आप काला रंग बनकर तैयार हो जाऐगा
नारंगी रंग के लिए गुलाब जल चंदन पाउडर हल्दी एक चुटकी कत्था हल्दी पानी सूखा रंग मिलाकर गीला लाला रंग बनाया जाता है। जो कि पूरी तरह से प्राकृतिक है एवं पूरी तरह से सुरक्षित भी है।
पीला रंग इसी प्रकार हम पीले रंग की बात करें तो हल्दी दो चम्मच बेसन एक चम्मच मिलाकर सूखे गुलाब की तरह स्तेमाल कर सकते हैं आजकल बाजार में कच्ची हल्दी आसानी से मिल जाऐगी उसको मिक्सी में पीसकर लगा सकते हैं।
टैसू के फूलों को रात भर गरम पानी में भिगोकर रखें और होली बाले दिन परिवार के सभी लोग इस पानी से स्नान करें तो कभी किसी को चरम रोग नहीं होगा।
वरिष्ठ समाज सेविका एवं वैध आफ नेचुरल पैथी गौरी पाठक के अनुसार प्राकृतिक रंग पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और शरीर के लिए अनुकूल भी इस लिए केमिकल युक्त रंगों की बजाय प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होली को और खुशनुमा एवं रंगीन बनाऐगा।
गौरी पाठक के अनुसार नीले रंग में एसयिक नीले रंग की मिलावट चरम रोग एवं एलर्जी पैदा करती है
लाल रंग में मरकरी सल्फाइड त्वचा रोग उत्पन्न करता है
काला रंग अगर बात की जाए काले रंग की तो लेड आक्सीइड से बनाया जाता है इसका असर सीधे किडनी पर पडता है।
गीला बैगनी रंग चुकदर को पीसकर प्रात कर सकते हैं।