सुप्रीम कोर्ट अभियुक्त को हथकड़ी लगाने के मामले में कहा चुका है कि अगर किसी आरोपी को हथकड़ी लगाने है तो पुलिस को उचित कारण बताते हुए संबंधित अदालत से पूर्व-अनुमति लेनी होगी.
राजकुमारी शर्मा
अलीगढ़: बिजली
चोरी के अभियुक्त को हरदुआगंज पुलिस ने हथकड़ी लगाकर अदालत में पेश किया। एडीजे
ईसी एक्ट सुभाष चंद्रा की अदालत ने इस पर आपत्ति जताते हुए एसएसपी को लिखे पत्र
में हरदुआगंज थानाध्यक्ष व सिपाही के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
बिजली विभाग के अधिवक्ता प्रमोद कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हरदुआगंज निवासी जसराम यादव एक मई 2019 को कटिया डालकर बिजली चोरी करते पाए गए थे। अदालत ने जसराम को दोषी करार हुए तीन हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। अधिवक्ता के अनुसार जसराम के विरुद्ध वारंट जारी किए गए थे। हरदुआगंज थाने के सिपाही सुनील जसराम को अदालत परिसर में हथकड़ी लगाकर लाया। इस बारे में सिपाही से पूछा गया तो वो कोई जवाब नहीं दे सका। इसके बाद हथकड़ी खुलवाई गई। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त को बिना किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के हथकड़ी पहनाना मानव अधिकारों का हनन हैं। अभियुक्त को हथकड़ी नहीं पहनाए जाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने पुलिस व जेल अथारिटी को गाइडलाइन जारी की हैं। थानाध्यक्ष हरदुआगंज ने अभियुक्त को हथकड़ी लगाकर न्यायालय में पेश किया। यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना है। थानाध्यक्ष व सिपाही के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की जाती है।
किन शर्तों के साथ लगाई जाएगी हथकड़ी
– केवल गैर-जमानती (गंभीर) अपराध के मामलों में
ही हथकडी लगाई जा सकती है.
– अभियुक्त का हिंसा को लेकर पहले कोई रिकॉर्ड या
चरित्र रहा है तो हथकड़ी की छूट.
– अगर अभियुक्त लोकशांति भंग कर सकता है या तोड़
फोड़ कर सकता है या गिरफ्तारी में रुकावट डाल सकता है.
– अगर बंदी पुलिस से घिरे रहने के बाद सुसाइड कर
सकता है या भाग सकता है तो हथकड़ी लगा सकते हैं.
– मान्य कारण होने पर न्यायिक अधिकारी के आदेश पर
भी हथकडी लगाई जा सकती हैं.