गणेश चतुर्थी के दिन ना करें चंद्रमा के दर्शन

ज्योतिषाचार्य पंडित हिमांशु प्रसार


गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर पर लाया जाता है भगवान गणेश की प्रतिमा का जलाभिषेक कर पंचोपचार विधि से पूजन किया जाता है लोग घरों पर गणपति की अनंत चतुर्दशी तक पूजन करते हैं अनंत चतुर्दशी को ही भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है। इस बार यह पर्व मंगलकारी वैधृति योग में मनाया जाएगा जिसमें मिट्टी से बने मंगलमूर्ति को गणेश चतुर्थी को घर घर विराजित किया जाएगा ज्योतिर्विद हिमांशु शास्त्री ने बताया की इस दिन स्वाति नक्षत्र के साथ वैधृति योग भी रहेगा। हालांकि इस दिन शुभ कार्यों के लिए अशुभ मानी जाने वाली भद्रा भी रहेगी, लेकिन इसका असर विघ्नहर्ता को विराजित करने में नहीं पड़ेगा। 10 दिनीमहोत्सव के दौरान विभिन्न तीज-त्योहार मनाए जाएंगे महाराष्ट्रीयन समाज में जहां तीन दिन के लिए ज्येष्ठा गौरा का आगमन होगा, वहीं दिगंबर जैन समाज के 10 दिनी पर्युषण पर्व भी शुरू होंगे. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितम्बर को दोपहर 12.40 बजे होगी, जो 19 सितम्बर को दोपहर 01.44 बजे तक रहेगी गणेश मूर्ति स्थापना के दिन स्वाति नक्षत्र दोपहर 1.48 बजे तक रहेगा। और इसके बाद विशाखा नक्षत्र लगेगा। और प्रातः काल से लेकर रात  तक वैधृति योग भी रहेगा ज्योतिर्विद पं. हिमांशु शास्त्री ने बताया मुताबिक गणेशोत्सव 19 सितम्बर से 28 सितंबर अनंत चतुर्दशी तक मनाए रहेगा। भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना के श्रेष्ठ समय चतुर्थी के दिन मध्यकाल हैं और इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना अहितकारी माना गया हैं कहा जाता हैं इस दिन चंद्र को देखने वालों पर झूठे आरोप लगते हैं।

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