ब्यूरो अभिषेक चौधरी
पौराणिक चरित्रों के लिए जानबूझकर सड़क छाप संवाद लिखने के लिए लेखक मनोज मुंतशिर पर होनी चाहिए वैधानिक कार्यवाही
टी-सीरीज़ फिल्म्स और रेट्रोफाइल्स द्वारा निर्मित सुपरस्टार प्रभास, अभिनेत्री कृति सेनन और सैफ अली खान की ओम राउत द्वारा निर्देशित बहुप्रतीक्षित फिल्म 'आदिपुरुष' शुक्रवार, 16 जून को सिनेमाघरों रिलीज हो चुकी है। रिलीज के बाद से ही फिल्म विवादों में घिरी हुई है। सबसे ज्यादा बवाल फिल्म के डायलॉग्स पर मचा है। इसी बीच अलीगढ़ से समाजसेवी संस्था सनातन प्रतिभा फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक सक्सैना का बयान सामने आया है। अभिषेक सक्सैना ने कहा कि फिल्म आदिपुरुष में रावण, भगवान श्रीराम, माता सीता और परमभक्त हनुमान जी के दृश्य महाकाव्य रामायण में पाए जाने वाले धार्मिक चरित्रों के चित्रण के विपरीत हैं।
साथ ही इस फिल्म की वजह से महाकाव्य रामायण, भगवान श्रीराम और भारत देश की संस्कृति का मजाक बन रहा है। फिल्म में सीताहरण के दृश्य को गलत तरीके से दिखाया गया है, हनुमान जी को चमड़ा पहनाया गया है, फिल्म के संवाद में लेखक मनोज मुंतशिर ने जानबूझकर सड़क छाप भाषा का चयन किया है। रामायण को ध्यान में रखकर बनाई गई फिल्म में इस तरह की भाषा का प्रयोग बहुत ही शर्मनाक है। फ़िल्म ने विषय और भावनाओं के साथ तो खिलवाड़ किया है।
फ़िल्म में भक्ति, मर्यादा और गंभीरता का अभाव है, ओछापन है। लुक्स की जहां तक बात है तो रावण को काजल भरी आंखें और लंबी दाढ़ी वाला दिखाया गया है, वहीं हनुमानजी बिना मूंछों के दाढ़ी वाले हैं, घनी मूंछों वाले श्रीराम हैं। रावण और उसके साथी जो लंका के दैत्य या असुर थे उनके किरदारों को अगर देखेंगे तो वो असुर कम और कोई मध्यकालीन हमलावर ज्यादा लगते हैं।
हम सब बचपन से सुनते आए हैं कि सोने की लंका होती थी लेकिन फिल्म में ऐसा लगता है कि हॉलीवुड की नकल करने की चाहत में उसको काले पत्थरों की लंका बना दी गई है जहां पर अंधेरा छाया रहता है। फिल्म में इतनी सारी विवादास्पद गलतियां होने के बाद भी सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को पास किया जाना भी अत्यंत गंभीर विषय है।
आदिपुरुष फिल्म देखने से युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ेगा। पौराणिक चरित्रों के लिए जानबूझकर सड़क छाप संवाद लिखने के लिए लेखक मनोज मुंतशिर पर वैधानिक कार्यवाही होनी चाहिए और इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।