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कहते हैं घर में जब बेटा नहीं होता तो बेटियां ही बेटों का फर्ज अदा करती है। कभी-कभी जीवन में परिस्थितियां ऐसा करने पर मजबूर कर देती है, जिसके बारे में कभी आपने सोचा ना हो।
एक ऐसा ही वाक्या अलीगढ़ दुबे पड़ाव पर देखने को मिला। जहां पिता की मौत होने पर बेटा ना होने के कारण तीनों बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
इस दौरान हर व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए थे। जानकारी के मुताबिक, इन तीन लड़कियों के पिता काफी समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। वहीं, पैसे न होने की वजह से परिवार वाले उनका इलाज नहीं करवा पाए। जिसके चलते आज उनकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, दुबे की सराय निवासी 52 वर्षीय राजकुमार पिछले 9 माह से मुंह के कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे और लंबे समय से इलाज चल रहा था। घर में रहकर मजदूरी करने वाले राजकुमार का कोई बेटा भी नहीं था, सिर्फ तीन बेटियां थी। जिसमें रति(18), गौरी (16) और चित्रा (13) हैं। कैंसर की बीमारी होने के बाद राजकुमार का इलाज कराया गया लेकिन जब घर चलाने वाला एक ही व्यक्ति बीमार पड़ा हो तो आर्थिक स्थिति कैसे सुधर सकती है। इस बात का अंदाज इस घटना से आप बखूबी लगा सकते हैं।
दरअसल जब डॉक्टरों ने इलाज आगे चलाने के लिए पैसों की मांग की तो आर्थिक स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती चली गई। इन तमाम परिस्थितियों के चलते राजकुमार के परिवार के लोग उसका इलाज नहीं करा सके। इसी के चलते आज राजकुमार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के कारण अपना दम तोड़ दिया। पड़ोसियों की मदद से राजकुमार का पैसा इकट्ठा करने के बाद अंतिम संस्कार कराया गया है। राजकुमार का कोई बेटा ना होने के कारण अंतिम संस्कार में उसके तीनों बेटियों ने चंदरिया श्मशान घाट पर भाग लिया। उसकी छोटी बेटी चित्रा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी है। पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद तीनों बेटियां अनाथ हो गई हैं। जिस वक्त अंतिम संस्कार हो रहा था हर व्यक्ति की आंखों में आंसू निकल रहे थे।