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दुबई में रह रहे युवक से आगरा की सदर पुलिस को लोक परिशांति भंग करने का खतरा है। इंस्पेक्टर सदर ने बिना जांच युवक को 110जी में पाबंद करने की रिपोर्ट भेज दी। उसी के आधार पर एसीपी छत्ता ने नोटिस जारी कर दिया।
नोटिस मिलने पर परिजन हैरान रह गए। मंगलवार को इसकी शिकायत पुलिस आयुक्त कार्यालय में की गई। डीसीपी सिटी ने प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं।
हिमाचल कालोनी, देवरी रोड (सदर) निवासी शैलेंद्र सिंह उर्फ शैली जाट दो अप्रैल 2023 को दुबई गए थे। वहां नौकरी कर रहे हैं। उनके भाई गजेंद्र सिंह वार्ड नंबर 5 से बसपा के पूर्व पार्षद हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एसीपी छत्ता का एक नोटिस प्राप्त हुआ। जिसमें लिखा है कि उनके भाई शैलेंद्र सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है। आस-पास के मोहल्ले में इसका भय व्याप्त है। आरोपित द्वारा किसी भी समय अप्रिय घटना घटित कर लोक परिशांति भंग की जा सकती है। इंस्पेक्टर सदर ने उनके भाई को 110जी में पाबंद करने की रिपोर्ट भेजी थी। जिसके आधार पर एसीपी छत्ता की कोर्ट ने भाई को पाबंद करने के आदेश पारित किए। उन्हें दो जमानतदार पेश करने हैं।
गजेंद्र सिंह मंगलवार को इसकी शिकायत लेकर पुलिस आयुक्त के कार्यालय पहुंचे। कार्यालय में डीसीपी सिटी विकास कुमार मिले। डीसीपी सिटी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जो युवक आगरा में मौजूद ही नहीं है उससे पुलिस को अशांति का खतरा कैसे है। फिलहाल इस सवाल का जवाब सदर थाना पुलिस के पास नहीं है।
मुकदमे में रंजिशन किया था नामजद
गजेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में सदर थाने में जानलेवा हमले और एससी/एसटी एक्ट का एक मुकदमा लिखा गया था। मुकदमे में उनके भाई शैलेंद्र सिंह उर्फ शैली जाट को भी नामजद किया था। उस समय उनका भाई उत्तर प्रदेश में ही मौजूद नहीं था। दूसरे प्रदेश में रह रहा था। वहां नौकरी कर रहा था। उन्होंने भाई के निर्दोष होने के बाद डिजिटल साक्ष्य पुलिस को दिए थे। पुलिस ने इसी आधार पर उनके भाई का नाम मुकदमे से निकाल दिया था।
रजिस्टर देख मुंशी तैयार करते हैं रिपोर्ट
110जी व गुंडा एक्ट की कार्रवाई रजिस्टर देखकर की जाती है। जब भी ऊपर से टारगेट मिलता है थाना प्रभारी मुंशी को निर्देश देते हैं कि सूची तैयार करें। मुंशी अपराध का रजिस्टर नंबर 4 खंगालते हैं। पुराने मुकदमों के आधार पर नाम तय कर लेते हैं। दुबई में बैठे युवक का नाम भी इसी तरह सूची में आया। मुंशी ने जो कागज सामने रखे इंस्पेक्टर सदर ने बिना जांच कराए रिपोर्ट एसीपी को भेज दी।
पुलिस इलाके में रहने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को पाबंद करने की रिपोर्ट भेजती है। रिपोर्ट में लिखा जाता है इस व्यक्ति का चाल-चलन ठीक नहीं। इसके द्वारा किसी भी समय अप्रिय घटना की जा सकती है। जिससे लोक परिशांति को खतरा पैदा हो सकता है। पाबंदी के बाद छह महीने तक पाबंद व्यक्ति को हाजिरी देनी पड़ती है। दो जमानदार पेश करने पर पड़ते हैं। इसे नेक चलनी का मुचलका अथवा सदाचार के लिए प्रतिभूति भी कहा जाता है। समयावधि में किसी घटना में शामिल होने पर जमानत राशि जब्त करने का प्रावधान होता है।