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मुजफ्फरनगर में अपने बेटे-बहू से परेशान एक 80 साल के बुजुर्ग ने कड़ा कदम उठाया। उन्होंने अपनी करीब 5 करोड़ की संपत्ति यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के नाम कर दी। बुजुर्ग ने अपनी वसीयत में यह भी लिखा है कि उनके मरने के बाद बेटा चिता को आग भी न दे।
कोई और चाहे, तो उनके शव को आग दे सकता है। बुजुर्ग पिता का कहना है, मेरा यह कदम उन सभी औलादों के लिए सबक है, जो अपने मां-बाप का सम्मान नहीं करते हैं। साथ ही उन मां-बाप के लिए भी सन्देश है, जो अपनी औलादों के जुर्म सहते रहते हैं।
20 साल पहले पत्नी की मौत हो गई थी
मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना तहसील के गांव बिराल में 80 साल के बुजुर्ग नत्थू सिंह रहते हैं। 20 साल पहले बीमारी के चलते उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है। नत्थू सिंह ने अकेले ही अपने 2 बेटों और 4 बेटियों की शादी की। बताया जा रहा है कि उनका छोटा बेटा हमेशा परिवार के खिलाफ रहा।
उसकी शादी के कुछ ही समय बाद बड़े बेटे ने झगड़े से परेशान होकर घर में ही आत्महत्या कर ली थी। छोटा बेटा सहारनपुर में सरकारी टीचर है। दो साल बाद उसका भी रिटायरमेंट होने वाला है।
बुजुर्ग ने खुले आसमान के नीचे बिताई रातें
कुछ समय पहले नत्थू सिंह अपने बेटे के पास रुकने सहारनपुर गए हुए थे। वहां पर उनके बेटे-बहू ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। नत्थू सिंह ने बताया, ''मजबूर होकर मुझे कई रातें खुले आसमान के नीचे बितानी पड़ी। मेरी बहू मुझे बिल्कुल इज्जत नहीं देती थी। बेटा भी अपनी पत्नी का साथ देता था। ठंड के मौसम में उन लोगों ने मुझे बाहर निकाल दिया। बहू मुझे खाने के लिए रोटी तक नहीं देती थी।''
बोले- बेटे ने मेरी हत्या करने का प्रयास किया
उन्होंने बताया, ''मेरा बेटा अपने दोस्तों के सामने मुझे बेइज्जत करता था। मुझसे घर के काम करवाता था। उसके बाद जो खाना बचता, वह मुझे खाने के लिए दिया जाता।''
नत्थू सिंह ने कहा, ''कई बार बेटे और बहू ने मेरी हत्या का प्रयास किया। मुझे कमरे में बंद कर गला दबाने की कोशिश की। लेकिन किसी तरह मैं बच गया।''
''मैं खुद घर का सारा काम करता था''
उन्होंने बताया, ''उन लोगों ने मुझसे मेरे पैसे भी छीन लिए थे। मैं किसी तरह लोगों से पैसे मांगकर वापस मिर्जापुर आया। यहां मैं अपने घर में रह रहा था। खुद ही खाना बनाता, बर्तन धुलता और साफ-सफाई करता। इसी बीच मेरा बेटा-बहू घर आया।''
नत्थू सिंह ने कहा, ''उन लोगों ने यहां आकर मुझसे मारपीट की और प्रॉपर्टी के पेपर मांगने लगा। लोगों के बीच-बचाव के बाद दोनों लौट गए। लेकिन मैंने तभी सोच लिया था कि मैं अपनी संपत्ति सरकार को दे दूंगा।''
बोले- मेरे पैसे से किसी भी जरूरतमंद की जाए मदद
उन्होंने बताया, ''मैं अपना घर छोड़कर सारा सामान लेकर एक वृद्धा आश्रम आ गया। उसके बाद 4 मार्च को तहसील में जाकर अपनी संपत्ति की वसीयत कर दी। जिसमें मैंने अपना सब कुछ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के नाम कर दिया।
उनका कहना है कि उन्होंने राज्यपाल के नाम अपनी सारी संपत्ति की वसीयत इसलिए की है, ताकि वह इससे किसी भी जरूरतमंद की मदद कर सकती हैं।