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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में मादक पदार्थ के साथ फर्जी गिरफ्तारी के मामले में कोर्ट ने एक दारोगा और दो कॉन्स्टेबल पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। पुलिस की कार्यप्रणाली से खफा कोर्ट ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि जिले की पुलिस नागरिकों के मूल अधिकारों का गंभीर रूप से हनन कर रही है। आरोपी को अब जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
गरीब ऑटो चालक को गिरफ्तार करके बना दिया नशे का सौदागर
मिर्जापुर जिले के इमामबाड़ा निवासी ऑटो चालक सुलेमान को पुलिस ने 29 जून 2021 की रात में पुलिस ने गिरफ्तार किया। गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने कटरा कोतवाली में एनडीपीएस ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करके आनन-फानन में कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने अदालत में बताया कि सुलेमान प्रतिबंधित अल्प्राजोलम पाउडर की बिक्री करता है। पुलिस द्वारा दर्ज फर्जी केस की वजह से सुलेमान 6 महीने तक जेल की चाहदीवारी में कैद रहा।
सुलेमान के जेल जाने के 10 दिन बाद इसकी सूचना घरवालों को मिली थी। जिसके बाद किसी तरह से जमानत पर रिहा हुआ। सुलेमान की मां का आरोप है कि जेल से रिहा होने के बाद सुलेमान की दिमागी हालत खराब हो गई थी। जिसकी वजह से तारीख पर हाजिर नहीं हो सका। सुलेमान की मां ने बताया कि एक रात दो पुलिस वाले आए और वजह बताए उसे घर से लेकर चले गए। अगले दिन पुलिस ने चालान करके फिर से जेल भेज दिया।
पुलिस अदालत में नही पेश कर सकी सबूत
पुलिस द्वारा दूसरी बार जेल भेजे जाने के बाद सुलेमान लगभग चार महीने तक जेल में रहा। बीते 21 दिसम्बर को अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम वायुनन्दन मिश्र ने आरोपी को रिहा कर दिया। सुलेमान के अधिवक्ता आकाश प्रताप सिंह ने बताया कि पुलिस न्यायालय के सामने ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी और न ही एनडीपीएस ऐक्ट में दर्ज प्रावधानों का पालन किया गया। जिसके बाद अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करते हुए एक दारोगा और दो कॉन्स्टेबल के ऊपर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने पुलिस को कई बार अपना पक्ष रखने को लेकर मौका भी दिया, लेकिन पुलिस अपना पक्ष नहीं रख सकी।
कोर्ट ने कहा, पुलिस कर रही है नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन
अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम वायुनन्दन मिश्रा ने आदेश देते हुए कहा कि पुलिस ने 79 ग्राम अल्प्राजोलम पाउडर के साथ जिसे गिरफ्तार किया है, उसके पास से इसकी बरामदगी फर्जी पाई जाती है। उपनिरीक्षक हरिकेश राम आजाद, हेड कॉन्स्टेबल सौकत अली और कॉन्स्टेबल पंकज दुबे ने इसे आरोपी के पास प्लांट किया। इस मामले में तीनों पुलिसकर्मियों पर एनडीपीएस ऐक्ट में वाद दर्ज किया जाए। कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव को प्रतिलिपि भेजते हुए कहा है कि जिले में पुलिस की कार्यशैली से न केवल नागरिकों के मूल अधिकारों का गंभीर हनन हो रहा है, बल्कि विधि के शासन को पुलिस के शासन में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि इस मामले में पर्यवेक्षक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए।