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यूपी पुलिस की छवि से इतर गोंडा पुलिस की ऐसी शानदार अकल्पनीय शक्ल सिपाही मोहम्मद जाफर के रूप में दिखती है जो ड्यूटी खत्म करने के बाद रोजाना एक घंटे गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं. जिले के अंतिम छोर की सूदूर चचरी पुलिस चौकी के बगल रोजाना पुलिस सर की पाठशाला पेड़ के नीचे लगती है. यहां एक घंटे बच्चे मैथ-साइंस समेत अन्य सब्जेक्ट की पढ़ाई मो. जाफर सिपाही से करते हैं. पुलिस सर की इस पाठशाला में कक्षा 1 से 10 तक के बच्चे ट्यूशन लेते हैं. इतना ही नहीं इसी पाठशाला में नवोदय स्कूल में एडमिशन लेने की तैयारी वाले भी बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं. आइए जानते हैं इस पाठशाला के बारे में बच्चे और पेरेंट्स क्या कहते हैं. पूरी कहानी यहां पढ़िए.
रोजाना ट्यूशन लेने वाले क्लास 7 में पढ़ने वाले करन व शिवानी कश्यप का कहना है कि पुलिस सर बहुत ही शानदार पढ़ाते हैं. यहां की पढ़ाई से उन्हें काफी लाभ मिला है और वह सबको फ्री पढ़ाते हैं. चन्द्रभान सिंह गांव के इसी पाठशाला में पढ़ने वाले 2 बच्चों के परिजन रणवीर सिंह का कहना है कि पुलिस सर रोजाना बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं.
वहीं सिपाही मो. जाफर का कहना है कि अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद वह घूमने टहलने के बजाय रोजाना गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं. यह उनका शौक है विज्ञान से स्नातक जाफर मुहम्मद का सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था, जो पूरा नहीं हुआ. इसलिए वो अब चाहते हैं कि उनके पढ़ाए इन बच्चों में कोई भी अगर कामयाब हो गया तो जाफ़र की ख्वाहिश पूरी हो जाएगी. वो रोजाना बेहद लगन से बच्चों को पढ़ाते हैं और बच्चे भी तल्लीनता से पढ़ाई करते हैं. गोंडा जिले के करनैलगंज कोतवाली क्षेत्र के चचरी पुलिस चौकी के बगल रोजाना शाम को 4 बजे पुलिस सर की यह पाठशाला चलती है.
जफर आगे कहते हैं कि सैलरी तो सरकार हमें देती ही है तो उनको जितना ज्ञान है वह इन बच्चों को आगे बढ़ाने में लगाएं. वैसे भी विद्यादान से बढ़ कर कोई दान नही है. इसलिए वह बच्चों को रोजाना पढ़ाते हैं. वह अपने खाली समय में बच्चों को पढ़ाकर अपना समय बेहतरीन ढंग से बिताते हैं. इसमें उन्हें दिली सुकून मिलता है. हमेशा खुद पढ़ना और बच्चों को पढ़ाना उनका शौक है. बच्चे भी रोज पुलिस सर से फ्री में पढ़कर खुश होते हैं क्योंकि बेहद पिछड़े इलाके के इन गांवों में बहुत शानदार पढ़ाई होने की कल्पना करना सम्भव नही लेकिन पुलिस सर की यह पाठशाला यहां पढ़ाई की रोशनी फैला रही है. बता दें कि इस गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग गरीब वर्ग में आते हैं. इनकी रोजाना कमाई तकरीबन 200 रुपये है. मो. जफर कहते हैं कि ऐसे घरों के बच्चे ट्यूशन पढ़ने कहां जाएंगे. कम से कम किसी का हमारी वजह से भला हो जाए तो इससे बेहतर क्या हो सकता है. मैं बच्चों को बेसिक मैथ-इंग्लिश, साइंस सब्जेक्ट पढ़ाता हूं. यहां नवोदय की तैयारी करने वाले भी बच्चे हैं. नाइंथ में एडमिशन के लिए ये बच्चे तैयारी कर रहे हैं. वैसे भी कंपटीशन ज्यादा है, इसलिए उसकी तैयारी थोड़ा बहुत करवा देते हैं.
अभी ठंड का मौसम है इसलिए बच्चे थोड़ा सा कम आ रहे हैं. पिछले महीने में 100 बच्चों के करीब आ रहे थे. इस समय 50-55 तो होंगे ही आसपास के गांव के हैं. आसपास के गांव के जैसे नकार, बालापुर और चंद्रभानपुर, यहां तक कि दिव्यापुर व काशीपुर के कुछ बच्चे आते हैं. जिन बच्चों को पता चलता है कि यहां मुफ्त शिक्षा दी जा रही है तो वो पढ़ने से नहीं चूकते.
जफर कहते हैं कि दिन में ड्यूटी खत्म करने के बाद ही वो यहां पढ़ाते हैं. ड्यूटी का टाइम अगर दिन में बैंक वगैरह में रहता है तो दिन में ड्यूटी 4:00 बजे खत्म होती है. फिर 4:00 बजे के बाद फिर शाम को 5:00 बजे के बाद ही पैदल गश्त होता है. ऐसे में 4:00 से 5:00 के बीच थोड़ा सा फ्री रहते हैं तो बैंक से आने के जस्ट बाद ही यहां आ जाता हूं. यहां बच्चे इंतजार करते हैं तो अपना एक घंटा टाइम कट जाता है. मेरा सपना बड़ा था लेकिन क्या किया जाए किस्मत जहां जिसकी ले जाए. मेरा सपना तो सिविल में जाने का था लेकिन परिस्थितियों के कारण वैसी तैयारी नहीं हो सकी. अब मेरी वजह से कोई एक बच्चा कामयाब हो गया तो मेरा सपना पूरा हो जाएगा और इसके आगे हमारी कोई ख्वाहिश नहीं है.