निखिल शर्मा
प्रशासन बुलडोजर लेकर मस्जिद तोड़ने पहुंचा था, लेकिन पूर्व विधायक ने जमीन की कीमत अदा करके मस्जिद तोड़ने से रोक दिया।
अलीगढ़ में सोमवार को मस्जिद को लेकर 2 घंटे तक हाईवोल्टेज ड्रामा चला। अवैध रूप से बनी मस्जिद को गिराने के लिए प्रशासन का बुलडोजर पहुंचा तो घर-घर में होगा मदरसा...बोलने वाले सपा के पूर्व विधायक सामने खड़े हो गए। पूर्व विधायक के साथ ही विशेष समुदाय के लोग हंगामा करने लगे।
पूर्व विधायक ने मस्जिद बचाने के लिए 10 लाख रुपए दिए। रुपए मिलने के बाद जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले शख्स ने समझौता कर दिया। इसके बाद प्रशासन की टीम लौट गई। पूर्व विधायक की मानें तो मुख्यमंत्री के आदेश पर एसडीएम मस्जिद तोड़ने आए थे, लेकिन आदेश नहीं दिखा पाए। मेरा मकसद मस्जिद को बचाने का था, जो पूरा हो गया है।
शाहपुर कुतुब में बनी थी मस्जिद
मामला रोरावर थाना क्षेत्र के शाहपुर कुतुब की मस्जिद का है। यहां पर गाटा संख्या 3082 पर दो लोग अपना मालिकाना हक जता रहे थे। एक पक्ष हिंदू है तो दूसरा पक्ष मुस्लिम। दोनों पक्षों को एक ही व्यक्ति ने यह जमीन बेची थी।
इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने यहां पर मस्जिद का निर्माण कराया। दूसरा पक्ष मामले में कोर्ट चला गया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही प्रशासन को मस्जिद तोड़कर जमीन का मालिकाना हक दिलाने को कहा। इसके बाद सोमवार को एसडीएम कोल बुलडोजर लेकर मस्जिद तोड़ने पहुंच गए। इसके बाद स्थानीय मुस्लिम पक्ष के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।
जमीन मालिक को दिए 10 लाख रुपए
मामले की जानकारी जब पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह को हुई तो वो भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत की। इसके बाद जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले दीपक कुमार को जमीन की कीमत 10 लाख देकर सौदा कर लिया। इसके बाद मामला शांत हुआ और प्रशासन का बुलडोजर वापस लौट गया।
पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह ने बताया, ''जिस जमीन पर विवाद है, यह जमीन भू माफिया ने दो बार अलग-अलग व्यक्तियों को बेची है। जमीन शंकर लाल नाम के किसान की थी। शंकर लाल ने 1100 गज की यह जमीन 2007 में दीपक कुमार नाम के व्यक्ति को बेंच दी थी। जिसके बाद दीपक इस जमीन के मालिक हो गए थे, लेकिन आरोपी शंकर लाल और मुकेश ने इस जमीन का फिर सौदा कर दिया।''
पूर्व विधायक ने बताया, ''2010 में उन्होंने जमीन का एक हिस्सा अफजाल नाम के व्यक्ति को बेच दी। जिसके बाद जमीन पर मस्जिद और मदरसे का निर्माण कराया गया था। दीपक ने इस मामले में कोर्ट और शासन के पास गुहार लगाई थी। दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट का फैसला दीपक के पक्ष में आ गया। इसके बाद प्रशासन सोमवार को मस्जिद हटाने पहुंचा था।''
पुलिस ने एक आरोपी को किया गिरफ्तार
एसडीएम कोल संजीव ओझा ने बताया कि गलत लोगों से बयनामा कराकर जमीन पर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इस कारण जमीन को कब्जा मुक्त कराने के आदेश हुए थे। लेकिन आपसी बातचीत से मामला सुलझ गया।
जमीन की गलत तरीके से बिक्री करने वाले आरोपियों के खिलाफ मुकदमा कराया गया है और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है और जांच के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।