Yogi Sarkar की कसौटी पर Aligarh Municipal Corporation खरा नहीं उतर सका। मुख्यमंत्री को भेजी रिपोर्ट में अलीगढ़ नगर निगम प्रदेश के सबसे खराब नगर निगमों की सूची में शामिल है। जनसुनवाई समाधान प्रणाली (आइजीआरएस) पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण में भी नगर निगम फिसड्डी साबित हुआ है।
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ये है वजह
जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों के बीच बढ़ रही दूरी भी नगर निगम को पीछे ढकलने की एक वजह है। पार्षद कई मौकाें पर निगम अफसरों का सार्वजनिक तौर पर विरोध कर चुके हैं। वहीं, सड़क, सफाई, पेयजल, पथ प्रकाश व्यवस्था को लेकर भी निगम अधिकारी पार्षदों के निशाने पर हैं। सरकारी विभागों मेें कामकाज, आइजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन 1076 पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण के आधार पर विभागों की रैंकिंग तय की जा रही है।
सीएम को भेजी रिपोर्ट
जिला मुख्यालय, तहसील, नगर निगम, नगर पालिका, प्राधिकरण, थाना व अन्य विभागों की निगरानी कर हर माह गोपनीय रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को भेजी जा रही है। इसी आधार पर 10 अच्छे व 10 खराब विभागों का चयन किया जाता है। जुलाई में जारी की गई रैंकिंग में Aligarh Municipal Corporation, सहारनपुर, मथुरा, कानपुर, मेरठ की स्थित प्रदेश में सबसे खराब नगर निगमों में है। जबकि, प्रयागराज, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, फिरोजाबाद और झांसी का अच्छे नगर निगमों में चयन हुआ है। शिकायतों के निस्तारण में भी नगर निगम स्थिति नहीं सुधार सका।
डीएम ने दिया IGRS प्रभारी को नोटिस
निगम के आरजीआरएस प्रभारी को डीएम नोटिस दे चुके हैं। संपत्ति कर के मामले में इन दिनों नगर निगम हर किसी के निशाने पर है। पार्षद तो विरोध कर ही रहे हैं, विधायक और सांसद भी कड़ी आपत्ति जता चुके हैं। पार्षदों का कहना है कि विभागीय अधिकारी जन समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे। मेयर तक से सामंजस्य नहीं बना पा रहे। मेयर मोहम्मद फुरकान भी कई मौकों पर नगर आयुक्त गौरांग राठी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। 25 अगस्त होने वाले बोर्ड अधिवेशन में पार्षद जनसमस्याओं के अलावा संपत्ति कर का मुद्दा भी उठाएंगे।