रिपो० रीशू कुमार
12 जून से शुरू होगा एक महीने का अभियान
बुलन्दशहर। सरकार पूजा स्थल कानून 1991 को खत्म करने की साजिश रच रही है न्यायपालिका के एक हिस्से की भूमिका भी संविधान और कानून के स्थापित मानदंडों के अनुरूप नहीं दिख रही है अल्पसंख्यक कांग्रेस इस कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुध सख्त कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हर जिले से पोस्ट कार्ड भिजवाने का अभियान चलायेगा।
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने आज प्रेस विज्ञप्ति में कही उन्होंने कहा कि पूजा स्थल क़ानून 1991 स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 को पूजा स्थलों की जो जो स्थिति रही है वह यथावत बनी रहेगी उनके चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। उसे परिवर्तित करने के लिए दिया गया कोई भी आवेदन किसी अदालत, ट्रीब्यूनल या प्राधिकार में भी स्वीकार्य नहीं होगा।
इसी तरह मोहम्मद असलम भूरा बनाम भारत सरकार मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के अपने फैसले में कहा है कि बनारस के काशी विश्वनाथ, ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के कृष्ण मन्दिर और शाही ईदगाह पर यथास्थिति बनी रहेगी और कोई भी अधिनस्त अदालत इस फैसले के विपरीत आदेश नहीं दे सकता वहीं बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि फैसले में भी पूजा स्थल कानून के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे संविधान के मूल चरित्र का हिस्सा बताया गया है।
सैयद मुनीर अकबर ने आगे कहा कि इन स्पष्ट फैसलों के बावजूद कुछ निचली अदालतों ने राजनीति से प्रेरित ऐसी याचिकाओं को स्वीकार कर स्थापित कानून के विपरीत आदेश दिये है अल्पसंख्यक कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को हर जिले से पोस्ट कार्ड भिजवा कर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अवमानना करने वाले अधिनस्त जजों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग करेगा यह अभियान अगले एक महीने तक चलेगा।
इस मौके पर फराज अन्सारी, वकील अहमद, मोइन खान, खलील अहमद सैफी, कबीर अहमद सिद्दीकी, राजेन्द्र कुमार, कृष्ण जाटव, रवि गुप्ता, फैज खां, नफीस त्यागी, अलाउद्दीन, रईस कुरैशी, आदि मौजूद रहे।