EVM से कैसे गिने जाते हैं वोट, कितना लगता है वक्त, क्या होता है स्ट्रांग रूम में - जानिए सबकुछ

 

ब्यूरो ललित चौधरी

उत्तरप्रदेश, उत्‍तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर पांचों राज्‍यों में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्‍न हो चुकी है। अब 10 मार्च को सभी पांचों राज्‍यों की मतगणना होनी है। चुनाव नतीजों का इंतजार सभी राजनीतिक दल बेसब्री से कर रहे हैं।

उत्‍तराखंड, पंजाब और गोवा में एक ही चरण में चुनाव संपन्‍न हुए हैं। वहीं मणिपुर में दो चरणों और उत्‍तर प्रदेश में सात चरणों में विधानसभा चुनाव हुए हैं।  इन चुनावों में इस बार उत्‍तर प्रदेश और पंजाब काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में सभी की नजरें 10 तारीख को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं। 

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ईवीएम से आप वोट देते हैं, उसकी गिनती कैसे होती है? इस खबर में हम बात करेंगे वोटों की गिनती से जुड़ी पूरी प्रक्रिया के बारे में.... एक नजर वोटों की गिनती प्रक्रिया पर..... 


सीलबंद कर स्‍ट्रॉन्‍ग रूम रखा जाता है

मतदान के बाद सभी इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को सीलबंद करके स्‍ट्रॉन्‍ग रूम में रख दिया जाता है। इनकी सुरक्षा केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान संभालते हैं। साथ ही सीसीटीवी कैमरे से भी इनकी सुरक्षा होती है।

किसी बड़ी जगह को काउंटिंग के लिए तय
राज्‍य निर्वाचन अधिकारी आमतौर पर जिले के किसी बड़ी जगह को मतगणना के लिए तय करता है। फिर मतगणना वाले दिन इसी जगह पर विधानसभा क्षेत्र के अनुसार ईवीएम और वीवीपैट से वोटों की गिनती होती है।

करीब 7 से 8 बजे के बीच मतगणना शुरू
मतगणना सुबह करीब 7 से 8 बजे के बीच मतगणना स्‍थल पर शुरू हो जाती है। इससे कुछ समय पहले ही कर्मचारियों और पार्टी एजेंटों को वहां एंट्री दी जाती है।

करीब 4 राउंड की मतगणना
हर घंटे औसतन करीब 4 राउंड की मतगणना होती है। जिस भी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम राउंड होते हैं, उसकी मतगणना पहले की जाती है।

शुरुआत पोस्‍टल बैलट की गिनती से
मतगणना की शुरुआत पोस्‍टल बैलट की गिनती से होती है। जब पोस्‍टल बैलट की गिनती शुरू हो जाती है तो आधे घंटे से एक घंटे के बीच में ईवीएम से मतगणना शुरू की जाती है।

एक बार में अधिक से अधिक 14 EVM से मतगणना
इस दौरान स्‍ट्रॉन्‍ग रूम से ईवीएम को निकालकर मतगणना स्‍थल पर लाया जाता है। इसके बाद उन्‍हें काउंटिंग टेबल पर रखा जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि एक बार में अधिक से अधिक 14 ईवीएम से मतगणना की जाती है। जब इन ईवीएम से मतगणना पूरी हो जाती है तो उसे पहला राउंड कहा जाता है।

मतगणना पर्यवेक्षक का काम
ईवीएम की मतगणना की प्रक्रिया में सबसे पहले मतगणना पर्यवेक्षक का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि ईवीएम से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना की गई हो।

एजेंटों को मतगणना शुरू होने की जानकारी
इसके बाद चुनाव एजेंटों को मतगणना शुरू होने की जानकारी दी जाती है। चुनाव अधिकारी इसके बाद ईवीएम में रिजल्‍ट के बटन को दबाते हैं। ऐसे में उस ईवीएम में पड़े
सभी उम्‍मीदवारों को पड़े वोटों की संख्‍या लिखी आ जाती है।

आंकड़े एकत्र होने के बाद रिजल्ट का ऐलान
इस प्रक्रिया के बाद कर्मचारी हर उम्‍मीदवार को पड़े वोटों की संख्‍या को लिखकर रिटर्निंग ऑफिसर के पास दर्ज कराने के लिए भेज देता है, जब सभी आंकड़े एकत्र हो जाते हैं तो उस चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है।

मतगणना की जानकारी मुख्‍य चुनाव अधिकारी
ईवीएम से होने वाली प्रत्‍येक चरण की मतगणना की जानकारी मुख्‍य चुनाव अधिकारी को उपलब्‍ध कराई जाती है. इसके बाद इन आंकड़ों को चुनाव आयोग के सर्वर में
फीड किया जाता है।

EVM के आंकड़ों का मिलान
जब एक राउंड की मतगणना पूरी हो जाती है तो ईवीएम के आंकड़ों और कागज की शीट में भरे गए आंकड़ों का मिलान भी किया जाता है।

रिटर्निंग ऑफिसर और एजेंटों को बताना
जब मिलान प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो इन आंकड़ों को रिटर्निंग ऑफिसर और उम्‍मीदवारों के एजेंटों को भी बताया जाता है।

बोर्ड पर काउंटिंग के परिणाम को दर्ज
हर मतगणना स्‍थल पर मतगणना टेबल के पास बोर्ड लगा होता है, इसमें हर राउंड के काउंटिंग के परिणामों को दर्ज किया जाता है।

आखिरी वोट तक वोटो की गिनती जारी
वोटों की गिनती ईवीएम से तब तक जारी रहती है, जब तक की आखिरी वोट नहीं गिन लिया जाता. इसके खत्‍म होने का कोई समय निर्धारित नहीं होता।

वीवीपैट की पर्चियों से मिलान
किसी विवाद या आशंका की स्थिति में ईवीएम से निकले आंकड़ों को वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट की पर्चियों से मिलाया जाता है।

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