पदोन्नति के लिए सीओ ने दिया फर्जी शपथ पत्र, रिपोर्ट दर्ज - जानिए पूरा मामला

ब्यूरो ललित चौधरी 

बुलंदशहर। पदोन्नति पाने के लिए सीओ सुधीर त्यागी की ओर से फर्जी शपथ पत्र देने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि सीओ पर वर्ष 1999 में इंस्पेक्टर पद पर रहने के दौरान दर्ज किया गया मुकदमा अभी भी लंबित है, लेकिन पदोन्नति के लिए दिए गए शपथ पत्र में लंबित मुकदमे का खुलासा नहीं किया गया। 

हलफनामे में आगरा पुलिस थाने में पुलिस अधिकारी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को छिपाया गया था। मूल रूप से मुजफ्फरनगर निवासी सुधीर त्यागी ने वर्ष 1989 में पुलिस फोर्स ज्वाइन की थी। इसके बाद वह विभिन्न पदों पर कई जिलों में तैनात रहे। करीब ढाई वर्ष पहले उन्हें जिले में तैनाती मिली थी। इस दौरान वह कोतवाली देहात में प्रभारी रहने के साथ ही दो बार एसओजी के प्रभारी भी रहे। करीब एक माह पहले ही शासन ने उन्हें इंस्पेक्टर से सीओ के पद पर पदोन्नत किया था।

एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया कि बुलंदशहर के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) बजरंग बली चौरसिया की शिकायत पर यहां पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सुधीर कुमार त्यागी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने बताया कि उपाधीक्षक के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले और बाद में यहां एक अनुमंडल अधिकारी के रूप में तैनात होने से पहले, त्यागी उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष अभियान समूह में एक निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे, जब उनके खिलाफ आगरा के रकाबगंज पुलिस थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

अधिकारी ने कहा कि उन्हें पिछले महीने वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत किया गया था, लेकिन उनकी पदोन्नति से पहले, उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय को एक हलफनामा देना था, जिसमें आपराधिक इतिहास, यदि कोई हो, सहित विभिन्न विवरणों का खुलासा करना था।

इसके बाद सुधीर त्यागी की ओर से शपथ पत्र दिया गया और कहा कि उनके खिलाफ कोई मुकदमा विचाराधीन नहीं है। जिसके चलते सुधीर त्यागी की पदोन्नति करते हुए उन्हें सीओ बना दिया गया। जब शासन स्तर से जांच कराई गई तो मामले में पता चला कि वर्ष 1999 में आगरा के थाना रकाबगंज में एक मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में एसपी देहात बजरंग बली चौरसिया ने जांच की तो प्रारंभिक तौर पर आरोप सही पाए गए।

उन्होंने बताया कि हालांकि, त्यागी ने अपने हलफनामे में आगरा में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज आपराधिक मामले का खुलासा नहीं किया और यह बात उनके हलफनामे के सत्यापन के बाद सामने आई। आगे की जांच के लिए सीओ उमेश कुमार पांडेय को जिम्मेदारी दी गई है।

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