ब्यूरो डेस्क,
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह (रक्षा मंत्री) अमित शाह (ग्रह मंत्री) , जेपी नड्डा ( बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष) सभी ने जताया शोक, कहा देश ने शानदार - सैनिक और सच्चे देशभक्त खो दिया।
भारत के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेन्स स्टाफ़ (सीडीएस) और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया है।
बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत कुल 13 लोगों की मौत हो गई। भारतीय वायु सेना ने बताया है कि इस हेलिकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 की मौत हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से दिए अपने भाषण में चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस (सीडीएस) का पद बनाने की घोषणा की थी।
सीडीएस की ज़िम्मेदारी सेना के तीनों अंगों के बीच समन्वय बनाना है। जनरल रावत इससे पहले भारतीय सेना के प्रमुख रह चुके थे, वे 31 दिसंबर 2016 से 1 जनवरी 2017 तक भारत के 26 वें सेना प्रमुख रहे।
जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले में एक सैन्य परिवार में हुआ. उनके पिता सेना में लेफ़्टिनेंट जनरल थे। भारतीय सेना की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार जनरल रावत 1978 में सेना में शामिल हुए थे
शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने खड़कवासला के नेशनल डिफ़ेंस एकेडमी में सैन्य प्रशिक्षण लिया था। देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग के बाद वे 11वीं गोरखा राइफ़ल्स टुकड़ी की पाँचवीं बटालियन में सेकंड लेफ़्टिनेंट बनाए गए. गोरखा ब्रिगेड से सेना के सर्वोच्च पद पर पहुँचने वाले वो चौथे अफ़सर थे।
चार दशक से लंबे सैन्य जीवन में जनरल रावत को सेना में बहादुरी और योगदान के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल के अलावा और कई प्रशस्तियों से सम्मानित किया जा चुका है।
सेना में अहम योगदान
उत्तर-पूर्व में चरमपंथ में कमी के लिए उनके योगदान की सराहना की गई. रिपोर्टों के मुताबिक साल 2015 में म्यामार में घुसकर एनएससीएन-के चरमपंथियों के खिलाफ़ भारतीय सेना की कार्रवाई के लिए भी उन्हें सराहा गया. 2018 के बालाकोट हमले में भी उनकी भूमिका बताई गई।
उन्होंने भारत के पूर्व में चीन के साथ लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल या एलएसी पर तैनात एक इन्फ़ैंट्री बटालियन के अलावा कश्मीर घाटी में एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर की कमान संभाली, इसके अलावा रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में उन्होंने विभिन्न देशों के सैनिकों की एक ब्रिगेड की भी कमान संभाली, जनरल रावत भारत के उत्तर-पूर्व में कोर कमांडर भी रहे।