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केंद्र सरकार की बैंकों के निजीकरण करने की पॉलिसी का गुरुवार को बैंक कर्मियों ने विरोध करना शुरू किया। गुरुवार को हड़ताल के बाद शुक्रवार को भी यह जारी है। सुबह ही बैंक कर्मचारी बैंक शाखाओं के बाहर पहुंचकर धरने पर बैठ गए हैं।सभी सरकारी और अर्धसरकारी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी इस धरने में शामिल हैं। इसके चलते करोड़ों रुपये का लेनदेन प्रभावित हो रहा है। बैंक अधिकारी व कर्मचारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त सहित अन्य सभी सरकारी व अर्ध सरकारी बैंकों ने हड़ताल में प्रतिभाग कर रहे हैं। संयोजक वीके शर्मा ने बताया कि बैंक अधिकारी व कर्मचारी सरकार द्वारा प्रस्तावित बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक, जो कि वर्तमान संसद के सत्र में प्रस्तुत किया जाना है। उसका विरोध कर रहे हैैं। यह विधेयक बैंकों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। लगभग पिछले तीन दशकों से सरकारें आर्थिक उदारीकरण की नीति के तहत बैंकों को कमजोर करती रहीं हैं। बैंकों में सरकारी अंश को कम करना, बैंकों का विलय करना, बैंकों का निजीकरण करना आदि के माध्यम से बैंकों को सरकारी क्षेत्र से बाहर करके निजी क्षेत्र के हवाले किए जाने जैसे प्रयास है।