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अलीगढ़ : जहरीली शराब प्रकरण में आरोपित पूर्व ब्लाक प्रमुख रेनू शर्मा की मौत के बाद शनिवार को पूरे दिन पोस्टमार्टम हाउस पर हंगामा हुआ। स्वजन रेनू के पति ऋषि शर्मा, बेटे कुणाल समेत छह लोगों को पैरोल पर लाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। इस दौरान झूठे मुकदमे में फंसाने और हत्या का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी व सीएम योगी समेत पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। एलान किया कि ऋषि के पैरोल पर आने पर ही पोस्टमार्टम किया जाएगा। हालांकि, अदालत ने पैरोल की अर्जी अस्वीकार कर दी। इसके बाद लोगों में नाराजगी और बढ़ गई। करीब चार घंटे की जिद्दोजहद व राजनीतिक लोगों के हस्तक्षेप के बाद स्वजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए। इसके बाद देर शाम को पोस्टमार्टम हुआ। पुलिस सुरक्षा में शव को जवां ले जाया गया। जहां रात में शव का दाह संस्कार किया गया। इस दौरान भी पूरा इलाका छावनी बना रहा।
28 मई को शुरू हुआ था मौतों का सिलसिला
लोधा क्षेत्र के करसुआ में 28 मई को जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ था। इसमें 104 लोगों की मौत हुई। पुलिस ने 33 मुकदमे दर्ज किए थे। इसमें जवां थाना में दर्ज हुए मुकदमे में ऋषि-मुनीष के अलावा पूर्व ब्लाक प्रमुख रेनू शर्मा समेत 17 लोग नामजद थे। 29 मई को रेनू को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। जेल में जब रेनू को ले जाया गया था उस समय भी तबीयत ठीक नहीं थी। उनका पहले से एम्स का इलाज चल रहा था। इसके चलते जेल के अस्पताल में ही उपचार दिलाया गया। बीच-बीच में जेएन मेडिकल कालेज में भी चेक-अप कराया गया। लेकिन, नवंबर में तबीयत ज्यादा खराब हुई। 10 नवंबर से उनका मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा था। 23 दिन बाद गुरुवार सुबह ही छुट्टी कराकर जेल ले जाया गया। शुक्रवार देररात जेल में फिर तबीयत खराब हो हुई। जेल प्रशासन रात 12:33 बजे रेनू को मेडिकल कालेज ले गया, जहां डाक्टरों ने रेनू को मृत घोषित किया।
रात ही शुरू हो गई पैरोल की मांग
स्वजन का आरोप था कि रेनू की हत्या की गई है। उनके मुंह से झाग निकल रहा था। इसी के साथ रेनू के पति ऋषि शर्मा व बेटे कुणाल को पैरोल पर बाहर लाने की मांग की। रात करीब ढाई बजे भाजपा के बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह मेडिकल कालेज पहुंच गए। उन्होंने पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से फोन पर बात करके जेल में बंद ऋषि और कुणाल को बाहर लाने की बात कही। इसके बाद शनिवार तड़के करीब चार बजे पुलिस शव को लेकर पोस्टमार्टम पहुंची। यहां भी लोग एकत्रित हो गए। जवां के बसपा नेता नरेंद्र शर्मा भी पोस्टमार्टम हाउस आ गए। इसके बाद स्वजन धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि ऋषि, कुणाल के अलावा मुनीश, कपिल, आकाश व ममता को जब तक पैरोल पर बाहर नहीं लाया गया, तब तक नहीं उठेंगे। लोगों ने रेनू शर्मा को न्याय दो, झूठे मुकदमे वापस लो, ब्राह्मण एकता जिंदाबाद, नारे भी लगाए।
ढाई बजे पैरोल खारिज, सात बजे भरा पंचनामा
रेनू शर्मा की तरफ से एडीजे नौ की अदालत में अधिवक्ता रामअवतार ने पैरवी की। दोपहर करीब ढाई बजे पैरोल के लिए दी गई अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया। जब इसकी सूचना पोस्टमार्टम हाउस पर बैठे लोगों को मिली तो वह संतुष्ट नहीं हुए। रेनू के बेटे विनय व अन्य लोग डीएम से मिलने पहुंचे। लेकिन, वहां भी निराशा ही हाथ लगी। सवा छह बजे बेटे विनय ने पंचनामा पर दस्तखत किए।
विचाराधीन को पैरोल देने का अधिकार नहीं
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बंदी किसी मुकदमे में विचाराधीन है तो डीएम को पैरोल देने का अधिकार नहीं है, जबकि सजायाफ्ता कैदी को लेकर डीएम पैरोल दे सकते हैं।
न्यायिक जांच हो : गुड्डू पंडित
धरने में शामिल हुए पूर्व विधायक गुड्डू पंडित ने कहा कि परिवार को न्याय नहीं मिला। परिवार के नाम पर दुकानें ही नहीं थीं। निर्दोष होने के बाद भी परिवार के लोगों को जेल में डाला गया। इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद भी रेनू की रिहाई न होने पर गुड्डू ने शासन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। कहा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सब सच सामने आ जाएगा। यह शासन प्रशासन की असफलता है।
कई निर्दोष फंसाए गए, सीबीआइ जांच हो : नरेंद्र
बरौली से बसपा प्रत्याशी नेता नरेंद्र शर्मा ने कहा कि शराब प्रकरण में कई निर्दोष फंसाए गए हैं। जिनके नाम पर ठेके नहीं थे, उन्हें भी शराब कारोबारी बताया गया है। इस पूरे प्रकरण की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। रेनू शर्मा कई बीमारी से पीड़ित थीं। इसके बावजूद उन्हें शराब प्रकरण में शामिल किया गया। दो दिन पहले रेनू को नाजुक हालत में अस्पताल से जेल ले गए। फिर ऐसा क्या हुआ कि अंदर मौत हो गई। उनके मुंह व नाक से झाग निकल रहे थे। यह हत्या है। परिवार के जो लोग अंदर हैं, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली जाए। उनकी भी हत्या हो सकती है। पूरे प्रकरण में शासन प्रशासन दोषी है। राजनीति के बड़े ओहदेदार भी दोषी हैं, जो लाशों के ऊपर बैठकर राजनीति कर रहे हैं।
एंबुलेंस से लाया था अदालत
10 नवंबर को रेनू को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। 15 नवंबर को रेनू पर एडीजे नौ की अदालत में आरोप तय किए गए। तब उन्हें एंबुलेंस से अदालत लाया गया था। इसी आधार पर हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दायर की गई थी। इसमें रेनू को नेफ्रिटिक (गुर्दे की बीमारी), कार्डियक (दिल), न्यूरोलाजिकल व डायबिटिक मेलोटिस से पीड़ित बताया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर की थी। इसके बाद साजिश की धारा शेष रह गई थी, जो स्थानीय अदालत में 30 नवंबर को मंजूर हो गई। जमानत के सत्यापन के लिए एक दिसंबर को पत्रालवी थाने पहुंची। दो दिसंबर को सत्यापन हो गया। इसमें पता चला कि जमानती पर पुराना मुकदमा चल रहा है। ऐसे में तीन दिसंबर को नए जमानती की सत्यापन रिपोर्ट थाने भेजी गई थी। इस आधार पर शनिवार को रेनू की रिहाई की उम्मीद थी। दो दिसंबर को रेनू को मेडिकल कालेज से छुट्टी कराकर जेल ले जाया गया, जहां शुक्रवार देररात साढ़े 11 बजे सीने में दर्द व सांस लेने में दिक्कत बताई गई। उन्हें मेडिकल कालेज लाया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित किया।
10-12 घंटे में ऐसा क्या हुआ, जो माता के मुंह से झाग निकलने लगे : बेटा
रेनू के खिलाफ धारा 272, 273, 304-ए, 201, 467, 468, 420 व 60ए एक्साइज एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें ऋषि-मुनीष, अनिल चौधरी, कपिल शर्मा, कुणाल, आकाश, विपिन यादव, गंगाराम, विजेंद्र कपूर, सुमित शर्मा, शिवकुमार, प्रमोद गुप्ता, मदन गोपाल, रेनू शर्मा, ममता, सतीश खुराना और ओमवीर भी नामजद थे। बेटे विनय ने बताया कि 10 नवंबर को उनकी मां रेनू को जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। 15 को अदालत में तारीख थी। मां की हालत नाजुक थी। पुलिस के सामने बेहोश हो गई थीं। डायबिटीज 500 से ऊपर था। सांस लेने में भी दिक्तत थी। इसके बावजूद नेबोलाइजर को हटाकर पुलिस ने दबाव बनाया और डिस्चार्ज कराकर एंबुलेंस से अदालत ले जाया गया। अदालत में ऊपर जाने की हालत नहीं थी तो वहीं सरकारी वकील आदि बुलाए गए। अंगूठा लगवाया गया। जबरन दस्तखत करवाए गए। 15 नवंबर को ही जेल ले गए। इसके बाद हमारी ओर से एप्लीकेशन दी गई। इस पर न्यायालय ने जेल प्रशासन को फोन किया। इसके बाद से मेडिकल में उपचार चल रहा था। दो दिसंबर को फिर से डिस्चार्ज किया गया। सारी रिपोर्ट ठीक थीं। फिर 10-12 घंटे में ऐसा क्या हुआ, जो उनके मुंह से झाग निकलने लगे। रात में 11:44 पर एक लेडी कास्टेबल ने फोन करके बताया कि उनकी मां रेनू को इमरजेंसी में लेकर जा रहे हैं। मेडिकल पहुंचे तो वह मृत अवस्था में थीं। डाक्टरों ने बताया कि मृत अवस्था में ही लाया गया था। मां की हत्या की गई है। 18 नवंबर को जमानत मंजूर हो गई थी। लेकिन, पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हो पाई। यही नहीं, जमानतियों को भी धमकाया जा रहा था।
साजिश के तहत परिवार को फंसाया
जवां के सिकंदरपुर की रहने वाली कविता यादव ने कहा कि राजतीनिक साजिश के तहत ऋषि के परिवार को फंसाया गया। ऋषि की पत्नी पहली बार ब्लाक प्रमुख बनीं। रेनू पंडित थीं, इसलिए उनको गिराने व दोबारा राजनीति में न लाने के उद्देश्य से साजिशन फंसाया गया।
इनका कहना है
रेनू शर्मा का जेएन मेडिकल कालेज में उपचार चल रहा था। 10 नवंबर से रेनू मेडिकल कालेज में भर्ती थीं। दो दिसंबर को मेडिकल कालेज से उन्हें जेल लाया गया था। शुक्रवार देररात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद तुरंत मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां मौत हो गई। न्यायिक जांच के लिए अदालत को पत्र लिखा गया है।
- विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक
कानून व्यवस्था के दृष्टिगत पुलिस बल लगाया गया है। सभी से संवाद किया जा रहा है।
- कलानिधि नैथानी, एसएसपी
सांसद व दलवीर सिंह के खिलाफ नारे लगे
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर धरने पर बैठे कुछ नेताओं ने सांसद सतीश कुमार गौतम के खिलाफ भी नारेबाजी की। विधायक दलवीर सिंह के खिलाफ भी नारे लगाए गए। हालांकि दलवीर सिंह उस समय वहां नहीं थे। कुछ महिलाएं भी सांसद से आक्रोशित दिखीं। उनका कहना था कि सांसद अब क्यों आए हैं? जब परिवार न्याय की मांग कर रहा था तो क्यों नहीं कदम आगे बढ़ाया। नारेबाजी का भाजपा नेता शिवनारायण शर्मा व अन्य नेताओं ने विरोध किया। रेनू के स्वजन पक्ष की ओर से ही धरने पर बैठे लोगों को समझाया गया कि अब किसी नेता के खिलाफ नारेबाजी नहीं होगी। इससे वहां कुछ देर के लिए माहौल गरमाया गया। चर्चा होने लगी कि रेनू शर्मा की मौत पर अब राजनीति हो रही है। नेता अपने फायदे के लिए ऐसा करा रहे हैं। समाधान निकालने की बजाय मामले को उलझा रहे हैं।
किसी से भेदभाव नहीं, बसपाइयों ने की नारेबाजी : सांसद
सांसद सतीश गौतम ने कहा कि रेनू शर्मा की हुई मौत के मामले की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की है। इस मामले में जांच की मांग की गई है। गृह सचिव, प्रमुख सचिव को अवगत करा दिया है। न्यायिक जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस सरकार में ब्राह्मण, ठाकुर, धीमर, अहीर कोई हो, किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है। ब्राह्मण मैं भी हूं। यह काननूी प्रक्रिया है। इसी सरकार में आइपीएस भागे घूम रहे हैं। गृह मंत्री का बेटा जेल में है। रेनू की रिहाई क्यों नहीं हुई इसकी भी जांच कराई जाएगी। नारेबाजी बसपाइयों ने की है। रेनू के परिवार से किसी ने भी नारेबाजी नहीं की है। शिव नारायण शर्मा, गौरव शर्मा, अजय सिंह, विजय सिंह देररात तक मदद के लिए लगे रहे। पोस्टमार्टम आदि की प्रक्रिया पूरी हम लोगों ने ही कराई। विपक्ष के नेता तो भाग गए।