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अलीगढ़ : अपराध की कुछ फाइलें ऐसी होती हैं, जो धूल फांकती रहती हैं। साल-दर-साल गुजरते रहते हैं और आरोपित भी जुर्म भूलकर नई दुनिया शुरू कर देता है।
लेकिन, कानून के शिकंजे से कभी कोई बच नहीं पाता। कुछ ऐसा ही देहलीगेट थाना क्षेत्र के साढ़े तीन दशक पुराने एक मामले में हुआ। पुलिस ने जानलेवा हमले के एक मामले में वांछित आरोपित को 35 साल बाद दबोचा है। इस बीच सिर्फ आरोपित ही नही, बल्कि उसके जमानतियों के खिलाफ भी कुर्की की कार्रवाई हो चुकी थी। जेल जाने से पहले आरोपित ने कहा, इतने साल बाद गिरफ्तारी की उसे उम्मीद भी नहीं थी।
यह है मामला
पुलिस के मुताबिक, वर्ष 1986 में जंगलगढ़ी बाईपास निवासी शफीक के खिलाफ जानलेवा हमले व आर्म्स एक्ट में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे। आरोपित ने मारपीट के दौरान दूसरे पक्ष के लोगों पर डंडे से हमला किया था। उस दौरान पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। लेकिन, कुछ समय बाद आरोपित को जमानत मिल गई, जिसके बाद वह जेल से बाहर आ गया। बाद में, अदालत ने कई बार आरोपित के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए। लेकिन, आरोपित हाजिर नहीं हुआ। इस पर कुर्की की कार्रवाई भी की गई। यही नहीं जिन दो लोगों ने शफीक की जमानत ली थी, उनके खिलाफ भी कुर्की की कार्रवाई हो चुकी है। 25 नवंबर को अदालत ने शफीक के खिलाफ स्थाई वारंट जारी किए थे। इधर, कुछ दिनों पहले ही शफीक एक रिश्तेदारी में शादी में शामिल होने के लिए जंगलगढ़ी में आया था। इधर, एसएसपी कलानिधि नैथानी ने वांछित व वारंटियों की धरपकड़ के लिए आपरेशन प्रहार चला रखा है। इसी के तहत आरोपित हत्थे चढ़ गया। इंस्पेक्टर प्रमेंद्र कुमार ने बताया कि एसआइ इशांत सिंह की टीम ने शफीक को जंगलगढ़ी स्थित रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया है। आरोपित को जेल भेज दिया है।
जगह बदल-बदल रहा था
पुलिस के मुताबिक, शफीक लंबे समय से फरार था। अलीगढ़ भी नहीं था। आरोपित बुलंदशहर, कासगंज, आगरा आदि जिलों में जगह बदल-बदल कर रह रहा था। वर्तमान में दिल्ली के सीमापुरी क्षेत्र में रह रहा था। वहां उसने शादी भी कर ली। इसके खिलाफ दिल्ली में भी मुकदमे चल रहे हैं। पुलिस इसका आपराधिक इतिहास खंगाल रही है।