राखी की तरह ही भाईदूज भी भाई बहन के प्रेम का ही त्योहार है। दीपावली के दो दिन बाद यम द्वितीया को भाईदूज मनाने का चलन बहुत पुराना है। भाई बहन के स्नेह के इस पर्व का महत्व भी रक्षाबंधन से कहीं कम नहीं है। भाईदूज के दिन भी बहन अपने भाई को तिलक करती है, इस मनोकामना के साथ कि उसके भाई की उम्र लंबी हो और भाई अपनी बहन को सुख समृद्धि का आशीष देता है।
शुभ मुहूर्त का समय
इस साल 2021 में भाईदूज 6 नवंबर को पड़ की है। पहला शुभ मुहूर्त अभिजीत योग में सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 दोपहर 33 मिनट तक रहेगा, और दोपहर को 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 22 मिनट तक मुहूर्त भाइयों को टीका करने के लिए सबसे शुभ है। यानि शुभ मुहूर्त का कुल समय 2 घंटे और 12 मिनट का है।
भाईदूज की पूजन विधि भी काफी कुछ राखी की ही तरह है। इस दिन बहनें सुबह भगवान की पूजा के बाद अपने भाइयों को तिलक करती हैं, मन में एक ही कामना होती है कि भगवान उनके भाई को हर संकट से बचाए। तिलक के बाद भाई की आरती की जाती है और भाईदूज पर भाई को मिठाई खिलाती है और नारियल (गोला) देती है तथा विधि अनुसार पान खिलाने का भी दस्तूर है।
पौराणिक मान्यताएं (भाई दूज मनाने का कारण)
पुराणों में भाईदूज से जुड़ी अलग अलग कहानियां मौजूद हैं। सूर्य देव के पुत्र का नाम यम (यमराज) और पुत्री का नाम यमी (यमुना) था। सूर्य देव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ।
यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि उसके घर आकर भोजन करें लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर प्रसन्नचित्त हो गई। उन्होंने भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया।
इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि भाईदूज पर भाई को तिलक कर बहन यम से भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है, माना जाता है कि यही प्रार्थना भाई को अकाल मृत्यु से भी बचाती है।