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अलीगढ़ : पहली बार अलीगढ़ के वकीलों के लिए जिला जज ने आई-कार्ड जारी किए हैं. जनपद न्यायालय कैंपस में अब अधिवक्ताओं को जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा जारी आई कार्ड को गले में लटकाकर रखना होगा. न्यायालयों में किसी भी वाद की पैरवी, जिरह आदि के लिए आई-कार्ड साथ रखना होगा. आगे बिना आई कार्ड कार्ड के कोर्ट में एंट्री भी रोकी जा सकती है.
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आई कार्ड
अधिवक्ता दिनेश चंद्र गुप्ता ने प्रभात खबर को बताया कि अलीगढ़ के न्यायालयों में 5,000 से ज्यादा व्यक्ति अधिवक्ता बतौर न्यायिक कार्य में लगे हुए हैं. उनमें से कितने अधिवक्ता नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं, इसी बात को लेकर जिला जज नेआई कार्ड किया है. जो वकील वास्तव में नियमित प्रैक्टिस करते हैं, उनको दस्तावेज पूर्ण करने के बाद आई कार्ड जारी किए गए हैं.
कोर्ट की सुरक्षा के लिए भी आई-कार्ड जरूरी
कुछ दिनों पहले दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में शूटआउट, लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में वकील पर बम से हमले आदि मामलों को देखते हुए अलीगढ़ न्यायालय में भी जिला जज ने महसूस किया कि कोर्ट में सुरक्षा की दृष्टि से नियमित प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को आई कार्ड दिया जाना चाहिए. अधिवक्ता विनोद कुमार ने प्रभात खबर को बताया कि कई अधिवक्ता बार काउंसिल ऑफ यूपी से और बार एसोसिएशन से रजिस्टर्ड हैं. नियमित प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को आई कार्ड दिए जा रहे हैं, ताकि वो न्यायालय में प्रवेश कर सकें और न्यायालय में सुरक्षा बनी रहे.
ऐसा है वकीलों को दिया जाने वाला आई-कार्ड
अलीगढ़ के जिला जज द्वारा जारी किए गए आई कार्ड में अधिवक्ता की फोटो, नाम, पिता का नाम, पंजीकरण संख्या, प्रैक्टिस शुरू करने का वर्ष, मोबाइल नंबर और कार्ड की वैधता लिखी हुई है. अभी कार्ड की वैधता 2026 तक रखी गई है. आई कार्ड के लिए 100 रूपए शुल्क, बार एसोसिएशन से रजिस्ट्रेशन, बार काउंसिल ऑफ यूपी का सीओपी (सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस नंबर) फोटो अधिवक्ता को देना होगा. आई कार्ड जनवरी-फरवरी से बनने शुरू हुए हैं. अब तक 720 अधिवक्ताओं को आई कार्ड जारी किए गए हैं. आगे करीब 2,500 से अधिक अधिवक्ताओं को आई कार्ड दिए जाएंगे.