अलीगढ़ | 22 साल पुराने मामले में शहर विधायक को दो साल की सजा,जमानत

डेस्क समाचार दर्पण लाइव

अलीगढ़ : एमपी-एमएलए कोर्ट से 23 साल पुराने सिपाही से मारपीट, धमकी देने व भय उत्पन्न कर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में शहर विधायक संजीव राजा को दो साल की सजा सुनायी और 14 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अदालत ने विधायक को जमानत पर रिहा कर दिया। सजा को लेकर विधायक हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

एडीजीसी रविकांत शर्मा ने बताया कि 17 नवंबर 1999 को उस वक्त सिपाही रहे श्यामसुंदर ने थाना बन्नादेवी में मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें आरोप लगाया था कि वह गंदा नाला चौराहे पर ड्यूटी पर थे। ड्यूटी सुबह नौ बजे से शुरू हुई थी। करीब ग्यारह बजे गिट्टी से भरा एक ट्रक खैर बाईपास की तरफ से शहर के अंदर आ रहा था। नो पार्किंग जोन में जाते ट्रक को रोका गया और बाईपास से जाने को कहा तो चालक अभद्र व्यवहार करते हएु ट्रक को जबरन शहर के अंदर ले गया। दोबारा ट्रक रोकने का प्रयास किया तो चालक कहने लगा कि यह गाड़ी संजीव राजा की है। ट्रक रोकने की कोशिश की तो नौकरी ले लूंगा। इसी दौरान सूचना पर संजीव राजा व उनके सात-आठ लोग आए और सिपाही श्यामसुंदर के साथ मारपीट करने लगे। उसको जान से मारने तक की धमकी दी गई। मारपीट के बाद गालीगलौज करते हुए वहां से चले गए थे। सिपाही की तहरीर के आधार पर पुलिस ने सासनीगेट क्षेत्र की एडीए कालोनी निवासी संजीव राजा, गाड़ी (एचआर 38 सी 7162) के चालक व सात-आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। गवाहों व साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने संजीव राजा को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही 14 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने विधायक की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।

इन तीन गवाहों के बयान के आधार पर हुई सजा

-सिपाही श्यामसुंदर, जिसने अपने द्वारा दी गई तहरीर व बयान का समर्थन किया।

-डॉ.एनके टंडन, जिन्होंने वादी की चोटों का परीक्षण किया और चोटें होना बताया।

-एसआई योगेश बालियान, जिन्होंने विवेचना में तथ्य देखकर चार्जशीट दायर की।

इन धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा


-धारा 147


-धारा 332


-धारा 353


-धारा 504


-धारा 506


इन आरोपों में हुई सजा


-सिपाही के साथ मारपीट


-सिपाही के साथ गाली गलौच


-सिपाही को जान से मारने की धमकी देना


-सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करना


विधायक की सुनिए-

कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेंगे और सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

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