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अलीगढ़ : पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी अलीगढ़ जनपद में सेटेलाइट से शुरू कर दी गई है। अगर कहीं पर भी कोई किसान पराली जलाता मिलता है तो उस मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
डीएम सेल्वा कुमारी जे. ने बताया कि जिला प्रशासन पराली प्रबंधन के लिए पूरी तरह से अलर्ट है।
कृषि एवं अन्य सहयोगी विभागों की मदद से सभी किसानों को सचेत कर दिया गया है कि फसलों के अवशेष एवं पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई होगी। जिला प्रशासन ने चेकिंग टीमों का गठन कर दिया है। प्रदूषण की रोकथाम एवं उसके नियंत्रण के लिए तहसील, विकास खंड, न्याय पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार कर पराली जलाने के दुष्परिणामों और एनजीटी के नियमों के प्रति किया जाएगा। उप निदेशक कृषि यशराज सिंह ने बताया कि एनजीटी द्वारा कृषि भूमि के 2 एकड़ से कम होने की दशा में 500 रूपये प्रति घटना, कृषि भूमि के 2 एकड़ से 5 एकड़ तक होने की दशा में अर्थ दंड 5000 रूपये प्रति घटना और कृषि भूमि के 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदंड 15000 रूपये तक प्रति घटना का प्रावधान किया गया है। किसान धान की पराली, गन्ने की पताई एवं कृषि अपशिष्ट ना जलाएं। जनपद में यदि कहीं भी पराली या अन्य फसल का अवशेष जलाया जाता है तो सेटेलाइट के माध्यम से वह पकड़ में आ जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा पराली प्रबन्धन के लिए विभिन्न प्रकार की रियायतें एवं सुविधाएं भी दी जा रहीं हैं, जिनके माध्यम से पराली व अन्य फसल अवशेषों का उचित प्रबन्धन किया जा सकता है। जिला कृषि अधिकारी राम प्रवेश ने बताया कि खेतों में पराली जलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति पर बड़ा ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। आग लगाने से गर्म हई मिट्टी में पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है और कृषि भूमि बंजर होती जाती है। इससे वातावरण भी प्रदूषित होता है और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।