डेस्क समाचार दर्पण लाइव
कोरोना काल में माता-पिता को खोने वाले बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन ने लैपटॉप दिए जाने के लिए बजट आवंटित कर दिया है।
अलीगढ़ जनपद को 17 लाख रूपए दिए गए हैं। इस बजट से 50 लैपटॉप खरीदे जाएंगे।
कोरोना की पहली व दूसरी लहर में कई अपनों का साथ छूटा था। किसी के सिर से मां तो किसी के सिर से पिता का साया उठा। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्होंने मां-बाप दोनों को ही खो दिया। ऐसे बच्चों को पालन-पोषण, पढ़ाई व लड़की के विवाह तक के लिए शासन ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरूआत की थी। जनपद में 195 बच्चों को चिन्हित कर उनके अभिभावकों के खाते में प्रतिमाह 4000 रुपये के हिसाब से सहायता राशि भेजी गई है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि कोरोना काल में निराश्रित एवं अनाथ हुए बच्चों की सुध लेते हुए उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया है। कोविड प्रभावित बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह सभी आत्मविश्वास से आगे बढ़ें और खूब पढ़ें। इसके लिए प्रदेश सरकार हर कदम पर उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य कोरोना वैश्विक महामारी में अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की देखभाल करते हुए उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी करना है। योजना में 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे बच्चों का चयन किया जाता है जिनके माता-पिता दोनों या फिर किसी एक की मृत्यु कोविड महामारी से हुई है। बाल गृहों में रखे जाने वाले बच्चों का दाखिला अटल आवासीय विद्यालय एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में किया जाएगा। योजना में चिह्नित बालिकाओं के शादी योग्य होने पर विवाह के लिए एक लाख एक हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। कक्षा 9 या इससे ऊपर की कक्षा में या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के छात्रों को लैपटॉप या टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा। जनपद में लैपटॉप दिए जाने के लिए 50 बच्चों का चिन्हांकन किया गया है। करीब 37 हजार रूपए एक लैपटॉप की कीमत आएगी। जैम पोर्टल से लैपटॉप खरीदे जाएंगे।