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गोधा में सात दिवसीय श्रीमद्भ भागवत कथा के पहले दिन सैकड़ों महिलाओं ने भ्रमण कर कलश यात्रा धूमधाम से निकाली। कथा में व्यास महाराज महावीर सिंह परीक्षित ने बताया कि आनंद स्वरूप सत्यस्वरूप चित्र स्वरूप परमात्मा से जब तक हम प्रभु के चरणों से हम नहीं जुड़ेंगे तब तक जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त होने वाला नहीं है। संसार के मोह माया में हंसकर क्षणिक आनंद जिसे हम कहते हैं वह वस्तुत: आनंद नहीं अपितु कार्य की सिद्धि होती है। जिसे हम आनंद की संज्ञा देते हैं। बताया कि सतयुग, त्रेता, द्वापर आदि युगों में भक्ति के साधन, तप, यज्ञ, जप आदि होते हैं, लेकिन कलयुग में मात्र भगवान कीर्तन सत्संग सबसे बड़ा अनुष्ठान है। देवर्षि नारद सत्संग की जिज्ञासा को लेकर मृत्युलोक आए और बद्री विशाल में आकर संत कुमारों से हरिद्वार में सत्संग का लाभ लिया। जिसके फलस्वरूप ज्ञान, वैराग्य और पुष्ट हुए एवं भक्ति सदा के लिए भक्तों के हृदय में विराज गई। उन्होंने कहा कि यह कथा पापों से मुक्त तो करती है, साथ ही जिस प्रकार की कामना लेकर भक्त कथा श्रवण करता है, उन सभी प्रकार के फलों को देती है। साथ ही ज्ञान वैराग्य की प्राप्ति एवं भगवान की प्रसन्नता भी होती है। कलश यात्रा का स्वागत बसपा के पदाधिकारी
नरेंद्र शर्मा ने किया इस मौके पर अर्जुन योगेश यज्ञपति और कलश वाली गुंजन कुमारी शिवानी कुमारी अंजली कुमारी विद्या कुमारी सरिता कुमारी और अंजलि राखी कुमारी राज कुमारी खुशबू गायत्री गुंजन नीतू बंदना राधिका पूनम भावना रजनी आदि लोग मौजूद रहे है।