हर धार्मिक पीठ संस्कृत विद्यालय खोले, यूपी सरकार करेगी सहयोग : सीएम योगी


डेस्क समाचारदर्पण  लाइव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत, संस्कृति और गो-संरक्षण के लिए मठ- मंदिरों से आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा तब होगी जब उसके मूल को समझने का प्रयास करेंगे। भारत और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए हर नागरिक को तैयार रहना होगा। मुख्यमंत्री गुरुवार को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं पुण्यतिथि पर गोरखनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। योगी ने आह्वान किया कि हर धार्मिक पीठ संस्कृत विद्यालय खोले, सरकार हर संभव सहयोग करेगी।

संस्कृत और संस्कृति का प्रोत्साहन मठ-मंदिरों एवं आश्रमों को करना होगा। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए योग्यता के आधार पर शिक्षकों का चयन करना होगा। अयोग्य व्यक्ति संस्था को नष्ट कर देगा। ऐसे में योग्य को तराशने की जिम्मेदारी धर्माचार्यों और आश्रमों को लेनी होगी। इससे संस्कृत और संस्कृति के साथ गोरक्षा भी होगी। योगी ने कहा कि निर्वासित गोवंश की रक्षा के लिए सरकार तीन व्यवस्थाओं पर काम कर रही है। पहला निराश्रित गोवंश के लिए आश्रय स्थल बनाए, जहां 6 लाख से अधिक गोवंश को संरक्षित किया जा रहा है।

दूसरा, सहभागिता योजना शुरू की। इस योजना में आश्रय स्थलों से गोवंश लेकर पालने पर प्रति गोवंश प्रतिमाह 900 रुपये मिलते हैं। इसके अतिरिक्त पशुपालक के हिस्से में गाय का दूध और गोबर भी आता है। तीसरी व्यवस्था कुपोषित महिलाओं और बच्चों के लिए है जिसमें संबंधित परिवार को गाय के साथ प्रतिमाह 900 रुपये दिए जा रहे हैं। योगी ने अफसोस व्यक्त किया कि एक भी धार्मिक संस्था ने सरकार से गाय नहीं ली है। उन्होंने मंच पर मौजूद धर्माचार्यों से कहा कि हमें समझना होगा कि धर्म की रक्षा तभी होगी जब हम उसके मूल और मूल्यों को जानेंगे। गोरक्षा सिर्फ भाषणों से नहीं बल्कि श्रद्धा और व्यवस्था से जोड़ने से होगी।

विभाजित स्वर से भारत विरोधियों की चपेट में आएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह देश नया भारत बनने को अग्रसर है। हर नागरिक को आत्मावलोकन करना चाहिए कि देश के प्रति उसके क्या दायित्व हैं। सदियों से दबी भावनाओं को सम्मान मिलना ही चाहिए। जब सब मिलकर आगे बढ़ेंगे, तभी ताकतवर भारत बनेगा। विभाजित स्वर से भारत विरोधियों की चपेट में आएगा। यह बात ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ अच्छे से समझते थे। इसी कारण उनका जीवन सामाजिक समरसता व एकजुटता को समर्पित रहा। हमें भी समय रहते समाज की विसंगतियों को दूर करना होगा।

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