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मुख्यमंत्री भले ही स्वास्थ्य सेवाओ में सुधार के लिए गंभीर हों, मगर सरकारी अस्पतालों में हालात नहीं बदल रहे। पहले तो मरीजों को आसानी से भर्ती नहीं किया जाता, यदि भर्ती कर लें तो उन्हें उपचार नहीं मिलता। ऐसा ही मामला दीनदयाल अस्पताल में सामने आया है। यहां वार्ड नंबर पांच में भर्ती सांस के मरीज को पांच दिन तक उचित इलाज नहीं दिया। स्वजन के अनुसार डाक्टर उसे भर्ती नहीं करना चाहते थे। चार घंटे बाद तो आक्सीजन लगाई गई। हंगामा करने पर भर्ती किया गया। शुक्रवार सुबह रेफर स्लिप दे दी।
बीमारी के चलते एक साल से घर पर ही हैं उदयवीर
क्वार्सी थाना के गांव चिरकौरा निवासी उदयवीर सांस व अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं। पहले ट्रक चलाते थे, मगर बीमारी के चलते सालभर से घर पर ही हैं। 18 वर्षीय बेटा गुरुग्राम में मजदूरी करता है, जिसकी कमाई से घर चल रहा है। सप्ताहभर पहले उदयवीर की तबीयत बिगड़ी। 29 जुलाई को उनकी पत्नी सीमा शाम सात बजे उन्हें लेकर दीनदयाल अस्पताल की इमरजेंसी पहुंची। आरोप है कि स्टाफ घंटों तक उनकी अनदेखी करता रहा। रात करीब 11 बजे आक्सीजन सिलेंडर लगाया, वह भी तब, जब उदयवीर की तबीयत बिगड़ने पर सीमा देवी ने हंगामा किया। इसके बाद उदयवीर को वार्ड पांच में भर्ती कर लिया गया। आरोप है कि करीब छह दिन बीत गए हैं, मगर उदयवीर को उचित इलाज नहीं मिल रहा। डाक्टर आते और खानापूरी करके चले जाते। आवाज उठाई तो शुक्रवार को स्टाफ ने रेफर स्लिप दे दी। कहा, मरीज को मेडिकल कालेज ले जाओ। सीमा के पास न तो पैसे थे और न अन्य संसाधन, जिससे वे पति को मेडिकल ले जाकर उपचार करा सके। लिहाजा, उदयवीर वार्ड पांच में ही बिना इलाज के ही पड़े रहे। कोई डाक्टर या स्टाफ उन्हें देखने नहीं आया। सीएमएस डा.एसके उपाध्याय ने बताया कि मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं है। स्टाफ से जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करूंगा।