डेस्क समाचार दर्पण लाइव
अलीगढ़ : राजेंद्र उर्फ कलुआ का शव ऐसा नहीं था कि उसका अंतिम संस्कार विधि विधान से किया जा सके। फिर भी उसके बड़े भाई सौरन ने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी। अविवाहित होने के चलते शव पर हल्दी लगाई। जो भी रस्म पूरी हो सकती थी सब की। भाई को अंतिम विदाई की ये रस्म घर पर नहीं, बल्कि शमशान गृह में की गई। शायद ही ऐसा कोई शव रहा हो जिसका शुद्धिकरण शमशान गृह में हुआ हो। राजेंद्र ऐसा ही अभागा था। उसका भाई सोरन भी बदनसीब निकला। भाई का अंतिम संस्कार तो कर दिया, लेकिन ये साबित नहीं कर पाया कि शव उसके भाई का ही था। हत्यारोपी राकेश के पिता बनवारी ने उस पर इतना दबाव बना दिया था कि वो कुछ नहीं कर पाया। अंतिम संस्कार भले ही राजेंद्र के शव का हुआ हो लेकिन कागजों में राकेश मरा। बनवारी भी यही चाहता था, इस लिए उसने सोरन को अंतिम संस्कार करने से रोका नहीं। वो चाहता था कि जल्दी से जल्दी चिता जले। खुद भी शमशान गृह में मौजूद रहा। गांव के हर व्यक्ति ने ये नजारा देखा था, लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाया।
यह है मामला
गंगीरी के नौगवां निवासी राजेंद्र की मर्डर मिस्ट्री किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पत्नी व बच्चों के हंता राकेश ने खुद को मृत दर्शाने के लिए राजेंद्र की हत्या कर दी। राजेंद्र राज मिस्त्री का काम करता था। राकेश उसे घर से 25 अप्रैल 2021 को छर्रा चलने के बहाने से बुलाकर लेकर गया था। लेकिन उसे क्या पता था कि वह आखिरी सफर पर निकला है। जब वह वापस नहीं लौटा तो स्वजन ने तलाशा, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। अगले दिन उसकी गर्दन व हाथ कटी लाश कासगंज में मिली।
गोली मारने की मिली थी खबर
राजेंद्र के भाई बीटू का कहना है कि हमारे पास फोन आया था। फोन करने वाले ने बताया था कि राकेश और राजेंद्र को गोली मार दी है। जब हम कासगंज पहुंचे तो वहां गर्दन कटी लाश पड़ी मिली। पहचान छिपाने के लिए लाश को जलाया भी गया था। शरीर को देखते हुए हमने लाश की पहचान अपने भाई राजेंद्र के रूप में की थी, लेकिन बनवारी अपने बेटे राकेश का का शव बताने लगा। पुलिस ने भी हमारी नहीं सुनी और पोस्टमार्टम के बाद शव बनवारी को सौंप दिया।
पैरों में लगे सीमेंट से की पहचान
बीटू ने बताया कि शव की बुरी हालत कर दी थी, इसीलिए उसकी पहचान करना आसान नहीं था। मेरा भाई चूंकि राज मिस्त्री का काम करता था, इस कारण उसके पैरों में सीमेंट चिपका हुआ था। उसकी शिनाख्त की ये बड़ी वजह थी। दूसरी ओर राकेश का वजन 80 किलो से अधिक है, जबकि मेरे भाई का वजन 40 किलो रहा होगा। हमें पूरा विश्वास था कि शव राजेंद्र का ही है।
सीधे शमशान गृह ले गया शव
राजेंद्र के भाई सोरन ने बताया कि बनवारी पुलिस में रह चुका था। इसका उसने खूब लाभ उठाया। हम गरीबों की तो कोई उस समय सुन नहीं रहा था। पोस्टमार्टम के बाद बनवारी एंबुलेंस से राजेंद्र के शव को सीधे शमशान गृह ले गया। मेरी मां को भी देखने नहीं दिया। शमशान गृह पर मैं अड़ गया। मुझे पूरा विश्वास था कि शव भाई का है, इस लिए मैंने उससे कह दिया दाह संस्कर मैं ही करूंगा। तब पूरी विधि विधान से भाई को विदा किया।
जान से मारने की मिली धमकी
सोरन ने बताया कि बनवारी ने हमें कई बार जाने से मारने की धमकी दी। बार-बार वो यही कहता था कि राकेश के ससुर को सबक सिखाना है। तुम कुछ नहीं कर पाओगे। इस लिए शांत रहो। कई बार तमंचा से भी धमकाया। हम मेहतन मजदूरी करने वाले लोग हैं इस लिए उसके सामने कुछ नहीं कर पाए। आज राकेश, बनवारी समेत पांच लोग जेल गए तो मन को बड़ी तसल्ली हुई।