पिता निधन के बाद बड़ी बेटी को बनाया गया परिवार का मुखिया, भाइयों ने पहनाई सर पर पगड़ी


ब्यूरो ललित चौधरी

वैसे तो बेटे और बेटियों में फर्क करने वाले अब धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं उन्हें बेटे और बेटी के बीच के फर्क को कम करने वाली एक अनोखी मिसाल उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से सामने आई है। यहां पर एक परिवार ने आपने परिवार के मुखिया यानी अपने पिता की मौत के बाद घर की बड़ी बेटी को परिवार का मुखिया बनाकर उसके सिर पर पगड़ी बांधी। यह मिसाल देखकर हर कोई इस परिवार पर गर्व महसूस कर रहा है।

आज तक के अनुसार बीते 7 सितंबर को हरेंद्र सिंह नाम के एक 74 वर्षीय बुजुर्ग का निधन हुआ। उनके परिवार में उनकी पत्नी तीन बेटे और एक बड़ी बेटी थी। हरेंद्र नाथ ही परिवार के मुखिया थे और जब तक वे जीवित फिर कब तक वही घर का पूरा कार्यभार संभालते थे। पिता की मृत्यु के बाद तीनों बेटियों ने अपनी बड़ी बहन उर्वशी चौधरी को परिवार का मुखिया बना दिया। उर्वशी चौधरी की उम्र 39 वर्ष है और वह एक विवाहिता है। उर्वशी चौधरी मेरठ में एडवोकेट है और सामाजिक कार्य भी करती रहती है।

उर्वशी की शादी 19 वर्ष पहले ही हो चुकी थी। उर्वशी शादी के समय 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी। उर्वशी की शादी मेरठ के ही एक प्रॉपर्टी डीलर अजय चौधरी के साथ हुई। अजय चौधरी ने उर्वशी को शादी के बाद पढ़ने लिखने से रोका नहीं और उन्हें प्रोत्साहित किया। उर्वशी चौधरी ने B.Ed किया और फिर M.A करने के बाद L.L.M किया और फिर वे एडवोकेट बन गई। 

बीते 7 सितंबर को पिता के निधन के बाद उर्वशी को अपने मायके वाले परिवार का मुखिया बना दिया गया।घर के बड़ों में मौजूद चाचा विजेंदर पाल सिंह, जितेंद्र सिंह, फूफा निरंजन शास्त्री, ऋषिपाल मलिक, पूर्व राज्य मंत्री ओमबीर तोमर, रामपाल मांडी, जयविन्दर रावत, रणधीर शास्त्री व एस०के० शर्मा, अंकुश चौधरी ने उर्वशी चौधरी के सिर पर पगड़ी बांधकर उन्हें यह मुखिया पद पर आसीन कर दिया। उस इलाके में घर के मुखिया के सिर पर पगड़ी बांधने की रिवाज है।

उर्वशी ने बताया कि उनके पिता हरिंद्रनाथ हमेशा उन्हें बहुत सम्मान देते थे। शादी होने के बाद भी पिता हरेंद्रनाथ कोई बड़ा काम करने से पहले अपनी बेटी से सलाह मशवरा करते थे। उर्वशी के तीनो भाई विकास, वरुण और विवेक भी अपनी बड़ी बहन को ही सर्वोपरि मानते हैं। इन तीनों की एक छोटी बहन भी है इसका नाम ऐश्वर्या है। परिवार ने बताया कि उनके पिता की यही इच्छा थी कि उनके परिवार की मुखिया उनकी बड़ी बेटी को बनाया जाए। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद हमेशा पुरुषों को ही परिवार का मुखिया बनाया जाता है परंतु यह पहला उदाहरण देखने को मिल रहा है जिसमें एक विवाहिता बेटी को परिवार का मुखिया बनाया गया।
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