अलीगढ़ में 'ताला नगरी' कल्याण सिंह की देन, उद्योग को मिला नया आयाम

डेस्क समाचार दर्पण लाइव

अलीगढ़ में ताला नगरी कल्याण सिंह (बाबूजी) की ही देन थी। पारंपरिक ताला हार्डवेयर व आर्टवेयर उद्योग को उन्होंने नया आयाम दिया था। जब वे पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बने तो रामघाट रोड पर तालानगरी की स्थापना कराई। इसका मकसद शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संचालित फैक्ट्रियों यहां शिफ्ट कराना और ग्रामीण मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना रहा। तालानगरी को सुनियोजित ढंग से विकसित किया गया। आवासीय और शैक्षणिक संस्थाओं के लिए पांच प्लाट 99-99 बीघा के उपलब्ध कराए गए।

शहर की दुश्‍वारियों से परिचित थे बाबू जी

पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहे शहर की दुश्वारियों से कल्याण सिंह भलीभांति परिचित थे। घनी आबादी में प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों को प्रशासन हटा नहीं पा रहा था। उस दौर में सासनीगेट, पला रोड, भुजपुरा, ऊपरकोट, जयगंज समेत शहर के दर्जनभर आवासीय क्षेत्रों में स्थापित छोटी-बड़ी 145 फैक्ट्रियों को प्रदूषित इकाई घोषित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हेंं तत्काल हटाने के निर्देश भी दिए थे। तब बाबूजी ने शहरवासियों को प्रदूषण से बचाने और यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए तालानगरी को विकसित करने पर जोर दिया। रामघाट रोड पर ताला नगरी स्थापित कर तमाम फैक्ट्रियां शिफ्ट की गईं। हालांकि, अभी भी कई फैक्ट्रियां घनी आबादी वाले क्षेत्र में संचालित हैं, जिन्हेंं प्रशासन शिफ्ट नहीं करा सका है।

बनाए गए दो सेक्टर

तालानगरी में औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए दो सेक्टर बनाए गए। इनमें कुल 1380 प्लाट आवंटित हैं, जो पांच सौ वर्गमीटर से लेकर पांच हजार वर्गमीटर तक के हैं। तालानगरी को बिजली घर, बड़े पार्क, वाटरहेड टैंक, धर्मकांटा आदि सुविधाओं से सुसज्जित किया गया। उद्यमियों को शहर न जाना पड़े, इसके लिए आवासीय सेक्टर में भी 1385 प्लाट हैं। इनमें तीन से चार सोसायटी के लिए भी भूमि आवंटित की गई। रेजीडेंस सेक्टर में एक गेस्ट हाउस, पेट्रोल पंप व हास्पिटल के लिए भी जगह है। मगर इन सुविधाओं को अब तक मुहैया नहीं कराया गया है।

ग्रामीणों को रोजगार

तालानगरी के विकसित होने से आसपास के 50 से अधिक गांवों में ग्रामीणों को रोजगार मिला। खासतौर से महिलाएं रोजगार और स्वरोजगार से जुड़ीं। वर्तमान में तालानगरी में 800 से अधिक फैक्ट्री संचालित हैं।

इनका कहना है

एलन एंड एलवन के संस्थापक मेरे पिता देवेंद्र जीत वाड्रा ने 1990 में तालानगरी में ताला-हार्डवेयर की फैक्ट्री संचालित की थी। उस समय पांच सौ से अधिक मजदूर फैक्ट्री में काम करते थे। बाबूजी हमारे पिताजी से इस क्षेत्र में एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की चर्चा करते थे। जिसे बाबूजी ने साकार भी किया। तालानगरी में सबसे पहली फैक्ट्री हमारी ही थी।

धनजीत वाड्रा, उद्योगपति

बाबूजी ने क्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए तालानगरी की स्थापना की थी। उनका उद्देश्य ताला व हार्डवेयर को आधुनिकता से जोडऩे के साथ एक्सपोर्ट यूनिट स्थापित कराकर दुनियाभर के बाजारों में ताला हार्डवेयर की चमक बिखेरना भी था। बाबूजी के इस तोहफे को उद्यमी हमेशा याद रखेंगे।

नेकराम शर्मा अध्यक्ष, तालानगरी औद्योगिक विकास एसोसिएशन

बाबूजी ने उस दौर में युवा उद्यमियों के लिए तालानगरी विकसित करके एक बड़ा मौका दिया था, जिससे अलीगढ़ में विकास की नई संभावनाएं जुड़ीं। तालानगरी को विकसित होने में समय जरूर लगा, लेकिन एक बार उद्योग स्थापित हुए तो बढ़ते चले गए।

अजय पटेल, उद्योगपति

महेंद्र नगर में हमारी ताला-हार्डवेयर की फैक्ट्री घर पर ही थी। तालानगरी विकसित हुई तो हमने दो फैक्ट्रियों के लिए प्लाट आवंटित कराए। एक्सपोर्ट यूनिट होने के चलते विदेशी व्यापारी भी फैक्ट्री में भ्रमण के लिए आते। उनके रुकने से लेकर अन्य संसाधन भी फैक्ट्री प्रांगण में ही उपलब्ध हैं।

विकास मित्तल चेयरमैन, शक्ति ग्रुप

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