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अलीगढ़ : विधानसभा चुनाव निकट आते ही बसपा को करारा झटका लगा है। बसपा के वरिष्ठ नेता अजीत बालियान ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अजीत को लखनऊ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सदस्यता ग्रहण कराई। अजीत 2019 में सांसद सतीश गौतम के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। सतीश गौतम के साथ ही लखनऊ पहुंचे और भगवा रंग में रंग गए।
टप्पल के गांव बसेरा निवासी अजीत बालियान बड़े कारोबारी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा से टिकट लाकर अजीत ने सभी को चौका दिया था। चुनाव खूब दमदारी से लड़े और दूसरे नंबर पर रहे। उसके बाद उनकी भाजपा से नजदीकियों के चर्चें तेज हो गए थे। अजीत भले ही सांसद सतीश गौतम के खिलाफ चुनाव लड़े हों, उनसे नजदीकियां जगजाहिर थीं। अजीत ने कहा कि बसपा में घुटन महसूस कर रहे थे। भाजपा सनातन संस्कृति को मानने वाली पार्टी है। इसलिए पार्टी में शामिल हुआ हूं। सांसद सतीश गौतम ने कहा कि अजीत बालियान उनके मित्र हैं। पीएम मोदी और सीएम योगी की नीतियों से प्रभावित हैं। खैर विधायक अनूप प्रधान, जिला पंचायत सदस्य कृष्ण प्रसाद उर्फ लाला प्रधान भी मौजूद थे।
इंसेट
जाटलैंड में स्थिति और मजबूत करना चाहती है भाजपा
बालियान के भाजपा में शामिल होने से जिले की राजनीति में हचलल पैदा हो गई है। माना जा रहा है कि भाजपा जाटलैंड में अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है, इसलिए उन्हें शामिल किया गया है। अजीत के भाजपा में शामिल होने से जिले के कुछ नेताओं में नाराजगी हैं। उनका कहना है कि जाट नेता के रूप में वह संगठन में वर्षों से काम कर रहे हैं, पार्टी को उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। चर्चा है कि एमएलसी के चुनाव में भी अजीत को उतारा जा सकता है।
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वो बिना राजनीतिक
हैसियत के नेता थे
बसपा जिलाध्यक्ष रतनदीप सिंह ने कहा है कि बहनजी ने अजीत बालियान को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर पहचान दी। चुनाव में उन्हें सिर्फ बसपा का परंपरागत वोट मिला, जाट समाज ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। ऐसे छोटे नेताओं के जाने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। भाजपा जाट समाज में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए प्रलोभन देकर पार्टी में जाट नेताओं को शामिल करा रही है, जिसका जाट समाज पर कोई भी फर्क नही पड़ने वाला है।