ब्यूरो ललित चौधरी
रानी अवन्तीबाई लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 में ग्राम मनकेड़ी जिला सिवनी मध्य प्रदेश में हुआ था,अवन्तीबाई के पिता राव जुझार सिंह जिला सिवनी के जमींदार थे।अवन्ती बाई ने दिसंबर 1857 से फरवरी 1858 तक गढ़ मंडला पर शासन किया।
रानी अवन्तीबाई लोधी भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थीं। 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी। 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे भारत के इतिहास में एक नई क्रांति आई।
रानी अवन्तीबाई लोधी के विवाह के बारें में :-
1850 ईस्वी में मोहन सिंह के वंशज विक्रमाजीत रामगढ़ की गद्दी पर बैठे। राजा विक्रमाजीत का विवाह सिवनी जिले के मनकेहड़ी के जागीरदार राव जुझार सिंह की पुत्री अवंती बाई के साथ हुआ। विक्रमाजीत बहुत ही योग्य और कुशल शासक थे किन्तु अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण वह राजकाज में कम सत्संग एवं धार्मिक कार्यों में अधिक समय देते थे।
रानी अवन्तीबाई लोधी के पति का मृत्यु का कारण :-
1857 की क्रांति ओर रानी अवंती बाई लोधी उनके दो पुत्र शेरसिंह और अमान सिंह अभी नाबालिग ही थे कि विक्रमाजीत विक्षिप्त से हो गए और राज्य प्रबंध का पूरा भार रानी अवंती बाई के कंधों पर आ गया। अवंती बाई द्वारा राजकाज करने का समाचार पाकर गोरी सरकार ने 13 सितंबर 1851 को रामगढ़ राज्य को कोर्ट ऑफ वाइस के अधीन कर राज्य प्रबंध के लिए एक तहसीलदार नियुक्त कर दिया। अंग्रेजों की इसी नीति से क्षुब्ध राजा विक्रमाजीत की असामयिक मृत्यु हो गई।
रानी अवन्तीबाई लोधी के आंदोलन की शुरुआत :-
1857 की क्रांति ओर रानी अवंती बाई लोधी दिल्ली और मेरठ में भड़के विप्लव की आग मध्य भारत और बुंदेलखंड से होती हुई जब गोंडवाना क्षेत्र में पहुंची तो यह समूचा क्षेत्र क्रांति के लिए उठ खड़ा हुआ। रानी अवंती बाई ने आसपास के ठाकुरों, जागीरदारों और राजाओं से संपर्क किया और गढ़ मंडला के शासक शंकर शाह के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के लिए दिन निश्चित किया।
रानी अवन्तीबाई लोधी का खैरी युद्ध (23 नवम्बर 1857)
मण्डला नगर को छोड़कर पूरा जिला स्वतंत्र हो चुका था। अवंती बाई ने मण्डला विजय के लिए सिपाहियों सहित प्रस्थान किया। रानी की सूचना प्राप्त होने पर शहपुरा और मुकास के जमींदार भी मण्डला की और रवाना हुए। मण्डला पहुंचने के पूर्व खड़देवरा के सिपाही भी रानी के सिपाहियों से मिल गए। खैरी के पास अंग्रेज सिपाहियों के साथ अवंती बाई का युद्ध हुआ। वाडिंग्टन पूरी शक्ति लगाने के बाद भी कुछ न कर सका और मण्डला छोड़ सिवनी की ओर भाग गया। इस प्रकार पूरा मण्डला जिला एवं रामगढ़ राज्य स्वतंत्र हो गया।