ब्यूरो ललित चौधरी
बुलंदशहर :शुक्रवार को जिला अस्पताल में पुलिस के खिलाफ स्वास्थ्य कर्मियों की मुर्दाबाद के बीच मरीजों की आह दबकर रह गयी। दर्द व बीमारी से कराहते मरीजों की इस दौरान किसी ने सुध नहीं ली। मरीज डाक्टरों से उपचार की गुहार लगाते रहे। तीन घंटे बाद ही उन्हें उपचार मिल पाया।
मौसम में बदलाव और कोरोना से बचाव के चलते जिला अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सुबह साढे़ नौ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक चिकित्सकों की हड़ताल रही और जिला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी चिकित्सकों की मानमनौव्वल में जुटे रहे। इसके बावजूद चिकित्सकों ने हड़ताल जारी रखी। ऐसे में जिला महिला अस्पताल, इमरजेंसी वार्ड के साथ-साथ अन्य वार्डों में चिकित्सकों का इंतजार कर रहे मरीजों को काफी परेशानी का सामना उठाना पड़ा।
इमरजेंसी के बाहर बैठे रहे मरीज
इमरजेंसी के बाहर चार-पांच मरीज चिकित्सकों के आने की राह दोपहर तक देखते रहे। एंबूलेंस से स्ट्रेचर पर लाने अथवा ले जाने की व्यवस्था भी ठप रही। भर्ती होने और छुट्टी पाने वाले मरीज साढे़ तीन घंटों तक इंतजार करते रहे। महिला अस्पताल में स्वजनों को बाहर निकाल दिया गया और किसी को भी अंदर नहीं घुसने दिया गया। मरीज और तीमारदार चिकित्सकों और स्टॉफ से दवाई देने की गुहार लगाते रहे।
मोबाइल ग्रुप पर हड़ताल की अपील
जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक और कर्मचारियों ने सीएचसी, पीएचसी के चिकित्सकों के लिए मैसेज चलाया और हड़ताल रखने की अपील की। व्यवस्था प्रति घंटे बिगड़ती जा रही थी। मरीजों की हालत और कोरोना काल के चलते चिकित्सकों का मन पसीजा और कार्रवाई के आश्वासन पर करीब डेढ बजे हड़ताल खत्म कर दी।
इनके मुताबिक :-
तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। मामले की जांच होगी, यदि नगर कोतवाल अथवा हैड कांस्टेबल दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। फिलहाल चिकित्सकों ने आश्वासन दिया है कि हड़ताल खत्म कर दी गई है। - संतोष कुमार सिंह (एसएसपी)
वार्ड आया, हेड कांस्टेबल और चिकित्सक से अलग-अलग पूछताछ की गई है। सभी के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। चिकित्सकों ने हड़ताल के दौरान परेशान हुए मरीजों को देखने के लिए एक घंटा अतिरिक्त काम करने का आश्वासन दिया है। - रवींद्र कुमार (एडीएम-ई)