रिपो० ललित चौधरी
बुलंदशहर । सवा महीने पहले पत्नी की कोरोना से मौत होने के बाद युवक रिपोर्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के दफ्तर के चक्कर काट रहा है। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग मौत को कोरोना से होना मान ही नहीं रहा है। हालांकि शुरुआत में जब पत्नी की तबियत बिगड़ी और आक्सीजन लेवल 48 पर पहुंचा तो 28 अप्रैल को अस्पताल में ही कराए टेस्ट में रिपोर्ट पाजिटिव आई थी।
सहकारी नगर के गांव मुरसाना निवासी प्रकाशवीर सिंह ने बताया कि 28 अप्रैल को पत्नी सुनीता की तबियत अचानक खराब हो गई। बात इतनी बिगड़ी कि, वह पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा लेकिन तब तक पत्नी का आक्सीजन लेवल 48 तक पहुंच गया था। अस्पताल में तुरंत ही पत्नी का कोरोना टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। चिकित्सकों ने सुनीता को एल-1 वीआइआइटी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। आरोप है कि वीआईआईटी अस्पताल में कोई भी चिकित्सक नहीं था। तीस मिनट बाद पत्नी ने तड़प कर वहां दम तोड़ दिया। इसके बाद जिला अस्पताल आने पर पत्नी के शव को किट में पैक करके उसे सौंप दिया। इसके बाद चिकित्सक ने सलाह दी तो उसने अपना भी कोविड टेस्ट कराया, जो पाजिटिव आया। प्रकाशवीर सिंह ने बताया कि पत्नी के मौत की रिपोर्ट की मांग करने पर चिकित्सकों ने दाह संस्कार कराने के बाद ले जाने की बात कही। अंतिम संस्कार के बाद वह लौटा तो उसे टरकाना शुरू कर दिया। बताया कि सुनीता नाम की किसी महिला की कोरोन से मौत ही नहीं हुई। एसीएमओ डा. रोहताश यादव ने बताया कि सुनीता की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी। मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए युवक द्वारा अभी तक कोई आवेदन नहीं किया है और न ही रिपोर्ट मांगी हैं।