जौनपुर में बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध न होने पर जिला अस्पताल परिसर में छटपटाते मरीजों को ऑक्सीजन देने वाले युवक समेत तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज हो गया है। सीएमएस की तहरीर पर पुलिस तीनों के खिलाफ महामारी फैलाने का केस दर्ज कर उनकी तलाश में जुट गई है।
यूपी के जौनपुर में बेड और ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से लोग अस्पताल के सामने ही छटपटा रहे थे. तभी मरीजों की मदद करने के लिए एक युवक विक्की अग्रहरि आया और लोगों को एंबुलेंस में से ऑक्सीजन सिलेंडर निकाल कर दिए. अब उसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की गई है. सीएमएस की शिकायत पर पुलिस ने विक्की अग्रहरि और 2 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है और जांच में जुट गई है।
जिला अस्पताल में बृहस्पतिवार को उपचार के लिए दूरदराज से पहुंचे मरीजों को बेड के अभाव में भर्ती नहीं किया गया तो वह परिसर में ही फर्श पर छटपटाने लगे। यह दृश्य प्राइवेट एंबुलेंस चलवाने वाले युवक विक्की अग्रहरि ने देखा तो आनन फानन में अपनी एंबुलेंस में मौजूद तीन सिलिंडरों को निकालकर मरीजों को ऑक्सीजन देना शुरू कर दिया। बाद में उसने एक अन्य एंबुलेंस से भी तीन सिलिंडर मांग लिए। इसके बाद एक अन्य युवक जिसने अपने पिता के लिए सिलिंडर मंगाए थे, किंतु पिता की मौत हो जाने पर बचे दो सिलिंडर भी विक्की को सौंप दिए। कुल आठ सिलिंडरों की मदद से युवक ने 14 लोगों को आक्सीजन देकर राहत पहुंचाई।
यह मदद अस्पताल प्रशासन को यह नागवार लगी। मामला सुर्खियों में आने के बाद पहुंचे सीएमएस ने मरीजों को तो किसी तरह अस्पताल में भर्ती कर लिया, लेकिन शुक्रवार को विक्की अग्रहरि और उसके दो अज्ञात साथियों के खिलाफ धारा 144 और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन, महामारी फैलाने सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर दिया। सीएमएस डॉ. अनिल शर्मा का कहना था कि ओपीडी पर्ची काउंटर के बगल में मरीजों को लेटाकर युवक ऑक्सीजन दे रहा था, जबकि वह न तो इसके लिए अधिकृत था और न ही उसके पास कोई डिग्री है। यह मरीजों की जान से खिलवाड़ करना था। बस अस्पताल प्रशासन की छवि खराब करने के लिए ऐसा किया गया था। कोतवाली प्रभारी तारावती यादव ने बताया कि मामला दर्ज कर छानबीन की जा रही है।
अस्पताल प्रशासन ने बताया मरीजों की जान से कर रहा था खिलवाड़
सीएमएस के डॉक्टर अनिल शर्मा ने मीडिया को बताया कि ओपीडी पर्ची काउंटर के पास विक्की अग्रहरि और उसके दो साथी मरीजों को ऑक्सीजन दे रहे थे. लेकिन वे न तो इसके लिए अधिकृत थे और न ही उनके पास कोई डिग्री है. इससे जाहिर होता है कि मरीजों के साथ खिलवाड़ करना था. डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की छवि खराब करने के लिए ऐसा किया जा रहा था. वहीं, कोतवाली प्रभारी तारावती यादव ने मीडिया को जानकारी दी है कि केस दर्ज कर लिया गया है अब जांच जारी है।