अलीगढ़ : कोरोना के काल ने इंसान को कितना विवश कर दिया है कि अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं मिल रहा है। विवश होकर एक मां को अपने बेटे को मुखाग्नि देनी पड़ी। इकलौते बेटे का मां ने अंतिम संस्कार किया तो मानो कलेजा फट आया। नुमाइश मैदान स्थित श्मशान गृह में जिसे भी पता चला, उसकी आंखे भर आईं। हर कोई बोल पड़ा हे प्रभु बस अब और नहीं।
नौ मई को मदर्स डे पर लोग अपनी मां को तमाम दुआएं दे रहे थे। मां का आशीर्वाद ले रहे थे। विष्णुपुरी निवासी दर्शन गुप्ता अपने 32 वर्षीय बेटे का जीवन बचाने के लिए प्रभु से प्रार्थना कर रही थीं। दर्शन गुप्ता के पति गिरधर गुप्ता का करीब डेढ़ वर्ष पहले निधन हो गया था। परिवार में पुत्र अंकित पुत्रवधू नम्रता और चार वर्षीय नाती पुण्य है। चार दिन पहले अंकित की तबीयत खराब हो गई थी। कोरोना की जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। अंकित को वरुण ट्रामा सेटर में भर्ती कराया गया। यहां रविवार रात नौ बजे तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उन्हें वेंटीलेटर पर ले लिया गया। जहां सोमवार तड़के चार बजे मौत हो गई। अंकित का पुत्र चार वर्ष का है, इसलिए मां दर्शन ने स्वयं बेटे को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया। नुमाइश मैदान में सुबह सात बजे उन्होंने अंतिम संस्कार किया। एक परिचित के अंतिम संस्कार में पहुंचे भाजपा नेता डा. राजीव अग्रवाल ने कहा कि काल का ऐसा क्रूर चक्र उन्होंने जीवन में कभी नहीं देखा था। भगवान ऐसे दिन किसी को भी नहीं दिखाए।