इगलास : दिनों दिन गिरते भू जल स्तर की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। सबसे ज्यादा पानी की समस्या से किसानों को जूझना पड़ेगा। जिले के कुछ किसानों ने धरती की कोख को खाली होने से बचाने की पहल शुरु कर दी है। किसान बूंद-बूंद से सिंचाई कर 70 प्रतिशत पानी की बचत कर रहे है। किसानों ने टपक सिंचाई पद्धति (ड्रिप इरिगेशन) को अपना शुरू कर दिया है। इस विधि से पानी की खपत बहुत कम होती है और उत्पादन अच्छा होता है।
किसानों को भा रही टपक विधि
टपक विधि से सिंचाई कर रहे गांव ताहरपुर के किसान सुभाष चन्द्र शर्मा बताते हैं कि इस सिस्टम को लगवाने के लिए 90 प्रतिशत अनुदान मिला था। अब सिंचाई करने के लिए मजदूरों की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। वह स्वयं ही पूरे खेत की सिंचाई कुछ घंटों में ही कर लेते हैं। पहले छह घंटे में एक हेक्टेयर खेत की सिंचाई होती थी। इस विधि से एक घंटे में कई हेक्टेयर खेत की सिंचाई हो जाती है। इस विधि से पानी व समय की भरपूर बचत है।
क्या है टपक सिंचाई विधि
इस विधि में नलकूप से खेत तक जमीन में दो फिट नीचे पाइप लाइन बिछाई जाती है। मुख्य पाइप लाइन से छोटे पाइप खेत में पौधों के पास डाले जाते हैं। इन पाइपों से जगह-जगह छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इनके माध्यम से पौधे तक आवश्यकता के अनुसार पानी पहुंचता है।
पांच हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की बचत
ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करने वाले किसानों का कहना है कि आलू की खेती में पांच सिंचाई करनी होती है। अब मजदूर नहीं रखने पड़ रहे। मजदूरी के लगभग पांच हजार रु पये प्रति हेक्टेयर की बचत हुई है। बिजली की बचत अलग से। क्षेत्र के गांव बसेली के उदयवीर सिंह, नगला चूरा के दालवीर सिंह, नवलपुर के राकेश कुमार, सेवनपुर के खुशीराम, कारस के उजागर सिंह, खिराबर के पूरन सिंह, हसनगढ़ के राजवीर सिंह, हरौथा के देवी प्रसाद, गिंदौरा के प्रवीन भारद्वाज, नगला अहिवासी के देवीराम शर्मा सहित लगभग 50 किसानों ने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपने खेतों में लगवाया है