बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय ने कहा कि शिक्षकों व कर्मचारियों ने चुनाव कार्य से ड्यूटी हटवाने के लिए आवेदन किए हैं। इनमें कुछ कारण अजीबोगरीब भी हैं। हालांकि 171 शिक्षकों व कर्मचारियों के नाम की सूची जारी की गई है, जिनको मेडिकल चेकअप कराकर प्रमाणपत्र लगाना है। इसके बाद ही इनकी ड्यूटी लगाने या हटाने पर विचार किया जाएगा।
अलीगढ:पंचायत चुनाव में लगभग हर सरकारी विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। इससे शिक्षा महकमा भी अछूता नहीं है। शिक्षकों व शिक्षा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी भी चुनाव में लगाई गई है। पीठासीन अधिकारी की ड्यूटी में कुछ ऐसे शिक्षकों व कर्मचारियों के नाम भी शामिल हो गए जिनको गंभीर बीमारी व वाजिब समस्याएं हैं। ऐसे शिक्षकों व कर्मचारियों के नाम ड्यूटी की सूची में आए तो शिक्षक नेताओं ने इसका विरोध भी किया। इस पर अफसरों ने वाजिब समस्याओं व बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों व कर्मचारियों से ड्यूटी कटवाने के संबंध में आवेदन मांगे गए। केवल बीएसए दफ्तर में ही पिछले चार से छह दिनों में करीब 700 आवेदन आ चुके हैं। इन आवेदनों में शिक्षकों व कर्मचारियों ने अपनी समस्या या बीमारी के बारे में भी लिखा है। इनको पढ़कर अफसरों के दिमाग भी चकरा गए हैं। पंचायत चुनाव की तैयारियों की टेंशन के माहौल में उनको हंसने का मौका भी शिक्षकों के कारणों ने दिया है।
मांगें गए मेडिकल चेकअप प्रमाण पत्र
ड्यूटी कटवाने के आवेदनों में शिक्षकों ने जो बीमारी व समस्याओं के कारण लिखे हैं उनकी वजह से अफसरों व कर्मचारियों के चेहरे पर दो पल की मुस्कान भी आई है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक ने अपनी बीमारी में लिखा है कि ''मेरा ह्रदय बहुत कम काम करता है''। वहीं शिक्षिका ने लिखा है कि ''छह महीने पहले कोविड-19 रिपोर्ट पाजिटिव आई थी, इससे डिप्रेशन में हूं''। किसी शिक्षक ने लिखा कि उनके पेट में दर्द है तो किसी ने केवल बीमारी लिखकर ही कालम भर दिया है। इन बीमारियों का इलाज तो दूर इनका परीक्षण भी करवा पाना शायद स्वास्थ्य विभाग के लिए संभव नहीं होगा। हालांकि अफसरों ने भी मेडिकल चेकअप का दांव खेलते हुए शिक्षकों व कर्मचारियों को मेडिकल चेकअप का प्रमाणपत्र लगाने के निर्देश जारी किए हैं। 171 शिक्षकों व कर्मचारियों की सूची बीएसए दफ्तर की ओर से जारी की गई है। प्रमाणपत्र भी सरकारी स्वास्थ्य महकमे का ही मान्य होगा। जिला अस्पताल की जांच व सीएमओ के हस्ताक्षर युक्त प्रमाणपत्र के जरिए ही ड्यूटी काटने पर विचार किया जाएगा।